व्यंग्य का वैक्सीन : ज्योति मित्र आचार्य 

बीकानेर abhayindia.com वो बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे है। उधर हमें भी अपने बचपन से एक गुरू की तलाश थी। इसलिए हमनें उन्हें द्रोणाचार्य मान खुद को एकलव्य मानकर सन्तोष कर लिया। द्रोणाचार्य जैसे बॉस का सबऑर्डिनेट एकलव्य बनने को आप हमारा बचपना कह सकते है। पिछले दिनों कोरोना के शोर में जब हमारे गुरुजी … Continue reading व्यंग्य का वैक्सीन : ज्योति मित्र आचार्य