Sunday, May 19, 2024
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पुष्करणा सावा : केसरियो लाडो जीवंतो रे…देखें वीडियो…

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परकोटे की गली-गली में गूंज रहा गीत, शहर में है धूम…

बीकानेर में पुष्करणा सावे की धूम, सारा परकोटा बना बारातघर
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बीकानेर में पुष्करणा सावे की धूम, सारा परकोटा बना बारातघर

बीकानेर abhayindia.com ‘केसरियो लाडो जीवंतो रे रे, ओ जीवंतो-जीवंतो ढाळे जा…सरीखे गीतों से शुक्रवार को अपराह्न के बाद से ही शहर की गलियां गूंजने लगी। पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे में सैकड़ों विवाह आज हो रहे हैं। गोधूलि बेला का मुहूत्र होने के कारण अपराह्न तीन बजे से ही बारातें निकलने लगी है।

वहीं अलग-अलग समितियों की ओर से निर्धारित समय पर पहले निकलने वाले विष्णु स्वरूप दूल्हों को सम्मानित किया गया। मोहता चौक में जहां उन्हें नकद पुरस्कार, रत्ताणी व्यासों के चौक में चांंदी के सिक्के, बारहगुवाड़ में भ्रमण का पैकेज सहित विष्णु रूपी दूल्हों का सम्मान हुआ। इस मौके पर मोहता चौक से लेकर नत्थूसर गेट के अंदर तक सावे की अच्छी रौनक है। कोई विष्णु रूप में तो, कोई ताशों की धुनों पर थिरकते हुए बरातें निकली रही है, बैड-बाजा, घोड़ी पर भी दूल्हे जा रहे हैं। यह रौनक देर रात तक चलेगी।

यहां मिला सम्मान...

मोहता चौक में पुष्टिकर सावा व्यवस्था समिति के तत्वावधान में शाम चार बजे सबसे पहले आने वाले अभिषेक रंगा को ११ हजार रुपए का पुस्कार दिया गया। वहीं दूसरे स्थान पर दीपक ओझा रहे जिसे ७१०० रुपए और तीसरे स्थान पर रहने वाले को ५१०० रुपए का पुरस्कार प्रदान किया गया। इस दौरान शिक्षामंत्री डॉ.बीडी कल्ला, पुजारी बाबा, शकर लाल हर्ष सहित समिति के सदस्य मौजूद रहे।

मिला चांदी का सिक्का…परशुराम सेवा समिति की ओर से रत्ताणी व्यासों के चौक में चार बजे प्रथम स्थान पर आने वाले दूल्हे को 100 ग्राम चांदी का सिक्का प्रदान किया गया, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वालों को 70  ग्राम और 50 ग्राम का सिक्का दिया गया।

बारहगुवाड़ में मिला ‘सिरे पावणा बींद राजा’ का खिताब…

बारहगुवाड़ चौक में रमक-झमक संस्थान की ओर से ३:१५ से ४:०० बजे तक विष्णु रूप में पहुंचे दूल्हों को सिरे पावरणा बींद राजा का खिताब और सपत्नीक श्रीनाथजी की यात्रा का टिकट प्रदान किया गया। इसमें प्रथम लव देराश्री, द्वितीय अभिषेक रंगा और दीपक ओझा रहे।

मितव्ययता का प्रतीक: कल्ला

रत्ताणी व्यासों के चौक में हुए कार्यक्रम में डॉ.बीडी कल्ला ने कहा कि पुष्करणा समाज का सावा रियातकालीन है, यह मितव्ययता का प्रतीक है। साथ ही बिना दहेज के शादी का संदेश भी देता है। सरकार ने पूरे शहर को स्थायी रूप से एक छत घोषित किया है। उन्होंने कहा कि सावा यहां की एक अनुठी संस्कृति है। इस मौके पर पुजारी बाबा, रत्ताणी व्यास पंचायत समिति अध्यक्ष महेन्द्र व्यास, परशुराम सेवा समिति के नवरतन व्यास, कन्हैयालाल कल्ला, सत्यप्रकाश आचार्य, जनार्दन कल्ला सहित गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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