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परनामी की पोटळी में भरा पोल-पट्टी का पुलिंदा

सुरेश बोड़ा/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। तीन दिवसीय बीकानेर दौरे पर आए हुए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की पोटळी स्थानीय संगठन और प्रशासनिक स्तर पर चल रही पोल-पट्टी के पुलिंदों से भर गई है। परनामी रविवार रात वापस जयपुर के लिए रवाना होंगे। पहले 22 मार्च को वे बीकानेर आए और उसी दिन रात को वापस जयपुर चले गए। इसके बाद शनिवार को वे वापस बीकानेर लौटे और कार्यकर्ताओं और नेताओं मन टंटोला। रविवार को वे देशनोक में कोलायत विधानसभा क्षेत्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद वे शाम को श्रीउूंगरगढ़ में उसी विधानसभा क्षेत्र के लिए बैठक करेंगे। रात्रि में वे जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगे।

परनामी आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीकानेर जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं को कमर कस लेने का आह्वान करने आए, लेकिन यहां के ताजा हालात जानकर वे अचंभित रह गए हैं। हर तरफ उन्हें शिकायतें ही मिल रही है। शहर में जब वे नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले तो उनके समक्ष क्षेत्रीय विधायकों और शहर भाजपा अध्यक्ष की निष्क्रियता की शिकायतें मिली, वहीं नाल, नापासर, नोखा गए तो वहां देहात भाजपा अध्यक्ष को लेकर कार्यकर्ताओं ने गिले-शिकवे सुनाए। इससे परनामी के समक्ष यह तो साफ हो ही गया कि स्थानीय स्तर पर संगठन के हालात ठीक नहीं है। हर क्षेत्र में पार्टी अंतर्कलह से जूझ रही है। गुटों के बिखरे नेता-कार्यकर्ता एक-दूसरे की टांग-खिंचाई में कोई कसर नहीं छोड़ है। ऐसे हालात में आने वाले चुनाव भाजपा को फिर से गुड न्यूज नहीं मिल सकती। परनामी के समक्ष केवल संगठन स्तर पर ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी बड़ी संख्या में शिकायतें मिली है। नेता-कार्यकर्ताओं हर बैठक में उन्हीं ऐसे उलाहने देते नजर आ रहे हैं कि अफसर उनकी नहीं सुनते। अफसरों की मनमानी के चलते उनके काम नहीं होते। इससे कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि आमजन भी उनसे खासा नाराज है। कुछ जगह तो कार्यकर्ता अपने दुखड़ सुनाते हुए अनुशासन और भाषा की मर्यादा भी लांघ गए। गांव रामसर में देहात अध्यक्ष की कांग्रेस से मिलीभगत को लेकर कुछ लोगों ने जब अमर्यादित भाषा का उपयोग किए तो परनामी भी तैश में आ गए।

बहरहाल, प्रदेशाध्यक्ष परनामी की पोटळी शिकायतें से पूरी तरह भरी हुई नजर आ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन शिकायतों को कितनी गंभीरता से लेते हुए पार्टी में सुधारवादी नीति अपनाते है। यदि उन्होंने शिकायतों की अनदेखी कर दी तो इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले दिनों में भाजपा में फूट की स्थिति सिर फुटव्वल तक पहुंच जाएगी।