








बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में 73वां गणतन्त्र दिवस मनाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस शुभ अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने झण्डारोहण कर सभी वैज्ञानिकों/अधिकारियों कर्मचारियों को गणतन्त्र के 73वें वर्ष में प्रवेश की बधाई व शुभकामना संप्रेषित कीं।
केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने आजादी के अमृत महोत्सव से अपने संबोधन को प्रारम्भ करते हुए कहा कि देश का हर एक नागरिक न केवल स्वयं अपितु राष्ट्र की महत्ता को भी पहचानें क्योंकि कठिन संघर्षों के बाद हमारे राष्ट्र ने इस अवसर को हासिल किया है। इसलिए हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के साथ–साथ अपने कर्त्तव्यों को सर्वोपरि रूप में लेते हुए उनकी पालना करनी चाहिए।
डॉ. साहू ने एनआरसीसी संस्थान की उपलब्धियों के लिए सभी के योगदान का उल्लेख करते हुए आह्वान किया कि केन्द्र के उतरोत्तर विकास हेतु सभी अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें क्योंकि उष्ट्र प्रजाति की बहुआयामी उपयोगिता को देखते हुए इस प्रजाति में प्रबल संभावनाएँ विद्यमान हैं। उन्होंने ऊँट को ‘औषधि भण्डार‘ बताते हुए इसके दूध में ‘औषधीय मूल्य‘ के आधार पर प्रारम्भ हुए दुग्ध व्यवसाय तथा देश के अलग–अलग क्षेत्रों यथा दक्षिण भारत आदि में भी ऊँटनी के दूध एवं उष्ट्र पर्यटनीय विकास की बढ़ती मांग की भी जानकारी दी तथा कहा कि जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के दृष्टिकोण से भी ऊँट अपनी जैविक (बायोलॉजिकल) व्यवहार की विशेषता के कारण विशेष महत्व का प्राणी साबित हो सकता है। उन्होंने जीव विज्ञान के व्यापक क्षेत्र, केन्द्र की समन्वयात्मक अनुसंधान उपलब्धियों, दवा प्रतिरोधक (ड्रग रेजिस्टेंस) क्षमता आदि पहलुओं को लेकर ऊँट के महत्व को वरदान के रूप में साबित करने हेतु वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू के कर कमलों से केन्द्र में उत्कृष्ट सेवा दे रहे अनुबंधित कार्मिकों को भी प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार वितरित किए गए। साथ ही केन्द्र के डॉ. आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक, सतनाम सिंह, तकनीकी अधिकारी एवं केन्द्र परिवार के नन्हें–मुन्ने बालक–बालिकाओं द्वारा रचनात्मक प्रस्तुतियां दी गई। इस हेतु बालक–बालिकाओं को पारितोषिक दिए गए। गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर केन्द्र परिसर में पौधारोपण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।





