Saturday, May 18, 2024
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एनआरसीसी एवं आई.आई.एससी के मध्य अनुसंधान एवं विकास कार्य को लेकर एमओयू

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुपराष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्‍द्र (एनआरसीसी) बीकानेर एवं आई.आई.एससी (भारतीय विज्ञान संस्थान) बेंगलुरु के मध्य रिसर्च एवं नॉलेज एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आज बेंगलुरु में एक एमओयू किया गया है। इस एमओयू पर एन.आर.सी.सी. की ओर से डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक एवं भारतीय विज्ञान संस्थान की ओर से कैप्टन श्रीधर वारियर, रजिस्ट्रार ने हस्ताक्षर किए।

आईआईएससी के मुख्य भवन में हुए इस एमओयू के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि इस एमओयू के तहत एनआरसीसी अब आई.आई.एससी. के साथ अनुसंधान एवं विकास की दिशा में मिलकर कार्य कर सकेगा। डॉ.साहू ने आशा जताई कि अनुसंधान एवं ज्ञान विनिमय से संबद्ध इस एमओयू तहत बहुदेशीय अनुसंधान कार्य किया जा सकेगा तथा इसी क्षेत्र में कार्य के तहत सुलभ, सुरक्षित एवं तापस्थिर (थर्मोस्टेबल) एंटीस्नैक विनम बनाने की दिशा में अनुसंधान कार्य के सकारात्मक परिणाम मिलने से हम एक कम लागत वाले बेहतर एंटी स्नैक विनम जो परंपरागत एंटीस्नैक की तुलना में ज्यादा प्रभावी व सुरक्षित होगा, का विकास किया जा सकेगा। एंटी स्नैक विनम अनुसंधान तहत आई.आई.एससी संस्थान के साथ कई अन्य अफ्रीकी व अमेरिकी देश भी शामिल है। डॉ. साहू ने जोर देते हुए कहा कि उष्ट्र प्रजाति के संरक्षण की दिशा में इस प्रकार के अनुसंधान कार्यों से महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है तथा यह समय की बेहद मांग भी है साथ ही इससे बायोमेडिकल अनुसंधान में ऊँटों की उपादेयता को बढ़ावा मिलेगा।

आपको बता दें कि ऊँटों में एक खास किस्म के एंटीबॉडिज होते हैं जिन्हें नैनो बॉडीज कहा जाता है, यह सिर्फ उष्ट्र प्रजाति एवं कुछ सीमित जीवों में ही पाए जाते हैं और हाल ही में हुए शोधों से इसकी उपयोगिता विभिन्‍न रोगों के निदान एवं उपचार में छिपी हुई असीम संभावनाओं को दर्शाता है तथा निकट भविष्य में सर्पदंश के उपचार के लिए ऊँट की नैनो एंटीबॉडीज को लेकर काफी आशान्वित है।

भारतीय विज्ञान संस्‍थान के कैप्टन श्रीधर वारियर ने इस एमओयू के अवसर पर कहा कि एनआरसीसी एवं वैश्विक स्तर पर ऊँटों के विविध पहलुओं पर हुए अनुसन्धान, इस प्रजाति की विलक्षणता को दर्शाते हैं तथा पूर्व में भी अन्य अनुसंधान परियोजनाओं में एनआरसीसी के साथ मिलकर काम किया है जिसमें उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए हैं तथा इसी क्रम में इस एमओयू के तहत एनआरसीसी के साथ मिलकर एक बेहतर व सुरक्षित एंटीस्नैक विनम तैयार करने की दिशा में किया जाने वाला यह कार्य रौचक होने के अलावा महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकेगा।

दोनों संस्थानों के मध्य हुए इस एमओयू के अवसर पर एनआरसीसी के डॉ. एस. के. घौरूई, प्रधान वैज्ञानिक व आई.आई.एससी के इस एंटी स्नैक विनम प्रोग्राम के प्रधान अन्वेषक डॉ. कार्तिक सुनगर एवं संस्थान के अन्य वैज्ञानिक गण भी मौजूद थे।

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