Monday, May 20, 2024
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कोरोना काल ने खोल दी 70 साल के प्रबंधन की पोल, हमारे पास हैं इसका इलाज : पूर्व मंत्री भाटी

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बीकानेर Abhayindia.com प्रदेश की राजनीति में अपनी बात को बेबाकी से कहने के लिए पहचानेे जाने वाले पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने कोरोना वायरस के संकटकाल के बीच कई ऐसे मसलों पर बहस शुरू कर दी है जिस पर हर कोई सोचने को मजबूर होगा। सोशल मीडिया पर पूर्व मंत्री भाटी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि वर्तमान में देश के अंदर एक वायरस का संक्रमण तेजी से चल रहा है, जिसका नाम दिया गया है कोरोना। लेकिन, इससे घबराने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज भी है। ऐसे वायरस विदेश से पहले भी आते रहे हैं। संत कहते थे- विदेश जाएगा अछूत हो जाएगा, वापस आएगा तो शुद्ध हो जाएगा। बाहर जाने वाले गलत विचार भी लेकर आते हैं।

पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी अभी लाइव है…राजनीति में लगातार चार दशक से एक शिखर व्यक्तित्व के साथ अपनी पहचान रखने वाले देवी सिंह भाटी….पहली बार लाइव रूबरू होंगे जनता के सवालों से….करेंगे आप सभी से बातचीत….साथ ही कोरोना संकट में आपको बताएंगे वेद्य नुस्खे…शनिवार २५ अप्रेल शाम ६ बजेजुड़े और करे सवाल जवाब…

Posted by Rajasthan Times on Saturday, April 25, 2020

बात को आगे बढाते हुए पूर्व मंत्री भाटी ने कहा कि साल 1917-18  में स्‍पेनिश फलू आया था। ढाई दिन चले इस रोग से लाखों लोग खत्‍म हो गए थे। इसके अलावा समय-समय पर स्‍वाइन फलू, डेंगू, बर्ड फलू और प्‍लेग जैसे रोग आते रहे हैं। दरअसल, इनके पीछे साजिशें चलती है, जिन्‍हें समझने की जरूरत है। साल 1995, 96 में हमें प्‍लेग रोग से डराया गया था। मीडिया के माध्‍यम से भी डराया गया। तब विदेशी कंपनियों ने खूब दवाइयां बेच दी। पर, सवाल यह है कि ऐसी साजिशों पर सरकारों को ध्‍यान देना चाहिए। आज जो संकट है उसे देखते हुए हमें परस्‍पर दूरी बनाए रखनी चाहिए, क्‍योंकि ये एक तरह से छूत की बीमारी है।

पूर्व मंत्री भाटी ने कोरोना के इलाज की बात कहते हुए कहा कि एक चम्‍मच हल्‍दी, दूध व गर्म पानी लेना चाहिए। गिलोय की गोली सुबह-शाम लेनी चाहिए। सालभर गर्म पानी पीना चाहिए। मैं 365 दिन गर्म पानी पीता हूं, कोई बीमारी नहीं है। इसके अलावा आप भाप लें, तुलसी लें, वायरस आ गया है तो प्‍याज, लहसुन, अदरक को गर्म पानी के साथ लें। आज हमें यह भी सोचना चाहिए कि आजादी के समय हमें आश्‍वस्‍त किया गया कि अब प्रदेशों का, गरीब-मजदूर और किसान का भला होगा,  वो स्‍वावलंबी होगा, हमारे यहां संविधान बनाया गया। लेकिन, आज हालात यह है कि कोई भी कानून व्‍यवस्‍था को मानने को तैयार नहीं है। सरकार की मुनादी है कि घरों से न निकले, लेकिन उलटे लोग निकल रहे हैं, डॉक्‍टर और पुलिस को डंडे मार रहे हैं। आज कोई सुरक्षित नहीं है। किसी के साथ मर्डर, रेप हो जाता है। दिल्‍ली में एक बच्‍ची निर्भया के साथ रेप, हत्‍या हुई। कानून बनाया पर उसका कोई असर नहीं हुआ।

भाटी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि ये सारी समस्‍याएं समाज की भागीदारी के बिना सुलझाई नहीं जा सकती। सरकार को चाहिए कि वो संचार, विदेश नीति आदि संभाले, बाकी व्‍यवस्‍था समाज को संभालनी चाहिए। आज अदालतों के आदेश भी नहीं माने जा रहे। हमें जो शिक्षा दी जा रही हैं, उसमें संस्‍कार नहीं है। संविधान में खामियां भरी हैं, खेती हमारे घाटे में आ गई है। पानी के पारंपरिक स्रोत खत्‍म कर दिए गए हैं। जिससे पानी का संकट बन गया है।

भाटी ने कहा कि आज हम यह भी सोचते नहीं है कि ये कैसी चुनाव प्रणाली है। व्‍यवस्‍था संभालने वाले को खर्चे से जोड दिया गया है। आज यूनिवर्सिटी चुनाव में भी करोडों खर्च होते हैं, जो पैसा खर्च करेगा वो वापस उगाने का प्रयास भी करेगा। अब सच्‍चे आदमी को शराब से बिकने वाला बना दिया गया है। व्‍यवस्‍था में कमजोरी दूर करनी चाहिए। कोरोना को लेकर कोई कानून मानने को तैयार नहीं है यह सबसे बडा संकट है। लॉकडाउन कर दिया लेकिन सरकारों ने मजदूरों को घर भेजने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं की, उन्‍हें रामभरोसे छोड दिया गया है। उन्‍हें अपने घर में इज्‍जत का रोजगार नहीं दिया। क्‍यों वे एक से दूसरे प्रदेश जा रहे हैं। आज श्रम कानूनों का क्‍या हुआ? फैक्ट्रियों को पाबंद क्‍यों नहीं किया गया? लोग पैदल निकल रहे हैं, उनकी कोई दवा-दारू का कोई पता नहीं है। इस संकट ने हमारे सत्‍तर साल की व्‍यवस्‍था की पोल खोल दी है। जो पेट्रोल पंप पर काम करते थे वे आज अरबपति हो गए है। हमें सोचना चाहिए कि समाजकंटक जो कानून व समाज की बात मानने को तैयार नहीं है उनका आर्थिक बहिष्‍कार करना चाहिए। चाहे वो किसी भी धर्म का क्‍यों न हो। आज कोरोना हमें कई बातें सीखा जाएगा।

By- Suresh Bora

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