








बीकानेर abhayindia.com सिंधी समुदाय के लोगों ने आज दाल-पकवान दिवस मनाया। घरों और दुकानों व टीकाकरण आयोजनों में दाल पकवान ही परोसा गया।
सिंधी व्यंजनों को बढ़ावा देने और समाज की नई पीढ़ी को व्यंजनों की जानकारी देने के उद्देश्य से यह दिवस मनाने की शुरूआत राष्ट्रीय आह्वान पर की गई । कोरोना एडवाइजरी की पालना के साथ मनाया गया यह एक ऐसा दिवस रहा जिसके लिए कोई कार्यक्रम नहीं हुए। यह घर-घर, दुकान-दुकान मनाकर रिकॉर्ड कायम किया गया।
यह दिवस यूं तो 11 अप्रैल को देशभर में मनाया गया मगर बीकानेर सिंधी समाज ने इसे तीन दिवसीय उत्सव के रूप में शनिवार से सोमवार तक मनाया। इससे तीनों दिन दाल पकवान की धूम रही। साधु वासवानी सेंटर, रथखाना बीकानेर के तत्वावधान में सहयोगी संस्थाओं सिंन्धी सेंट्रल पंचायत बीकानेर, सिन्धी साहित्य समिति बीकानेर, भारतीय सिंन्धु सभा बीकानेर, झूलेलाल मन्दिर,संत कँवर राम मंदिर ,रथखाना, पवनपुरी, धोबी तलाई, बीकानेर और एक्टिव सिंधी यूथ विंग की ओर से कोविड टीकाकरण शिविर में भी अतिथियों को सिंधी दाल पकवान परोसा गया।
भारतीय सिन्धु सभा के संरक्षक श्याम आहूजा के अनुसार मातृशक्ति की महिलाओं से घरों में दाल पकवान बनाए। अधिकांश घरों में दाल पकवान परोसा गया। वैसे तो सभी सिंधी व्यंजन लजीज और स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन दाल पकवान इनका सरताज है। इसी कारण अब सालाना जलसे के रूप में ‘दाल पकवान दिवस’ मनाया गया। साहित्यकार मोहन थानवी ने बताया कि दाल पकवान सिंधी समाज का परंपरागत व्यंजन है। इसका स्वाद अब अन्य सभी समाज के लोग भी लेने लगे हैं। इक्का-दुक्का होटलों पर मिलने वाला पकवान अब बड़े होटलों के मेन्यू में शामिल किया जाने लगा है।
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