Thursday, May 16, 2024
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बीकानेर : अनदेखी से हादसों को निमंत्रण दे रहा गजनेर हाईवे 

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बीकानेर abhayindia.com हर हादसे के बाद जिम्मेदार जगते हैं दो-चार वाहनों की जांच में बढ़ोत्तरी हो जाती है। कार्रवाई के दौरान कैमरे के फ्लैश चमक जाते हैं और व्यवस्था वापस फिर वैसी हो जाती है। दूसरी ओर अगर हादसा बड़ा हो गया तो कुछ जनप्रतिनिधि और नेता गहन शोक व्यक्त करते हुए पीडि़त परिवार के घर सांत्वना देने पहुंच जाते हैं। फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है। फिर 72 घंटे बाद सब कुछ पूर्ववत हो जाता है।

जिम्मेदार महकमो के अफसर वापस हेलमेट चालान पर फोकस हो जाते हैं और नेता अपनी दूसरी राजनीति में। यह स्थिति है बीकानेर जिले के सिस्टम की। अगर समग्र स्थिति पर गौर करें तो दर्दनाक सड़क हादसों की रोकथाम के लिये पुख्ता इंतजाम के मामले में सिस्टम के जिम्मेदार अभी भी गंभीर नहीं है, इसका नजारा गजनेर हाईवें के हालातों से देखा जा सकता है। बीकानेर को सीधे जैसलमेर से जोडऩे वाले इस हाईवे पर गजनेर पुलिया से लेकर चुंकी नाके तक सड़क किनारे ट्रकों,बसों और अन्य वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है।

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हाईवे के करमीसर तिराहे पर तो बजरी-ईटों के ट्रक-ट्रैक्टर इस कदर अस्त व्यस्त खड़े रहते है, इससे आये दिन हादसों की आंशका बनी रहती है। हाईवे की सड़क भी कई जगहों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त, डिवाईडर भी जगह-जगह से उखड़े हुए है। इस हाईवे पर ओवरलोड़ और ओवरस्पीड़ में दौडऩे वालें वाहनों के खिलाफ कार्यवाही में पुलिस पूरी तरह नाकाम है,आवारा पशु इस हाईवे पर चारों प्रहर विचरण करते रहते है।

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सबको पता लेकिन चुप्पी

जिले के जनप्रतिनिधियों, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, निगमायुक्त सहित अन्य जिम्मेदार अमले को पता है कि गजनेर हाईवे पर गैराज मिस्त्रियों, पेट्रोल पंपों पर नियम विरुद्ध ट्रक, ट्रेलर और बसें खड़ी होती हैं। हाईवे पर गजनेर पुलिया से लेकर चुंगी चौकी तक ट्रकों, जीपों और बसों का डेरा जमा रहता है। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। स्पष्ट है कि जिम्मेदार अफसरान के लिये मानव जीवन का मूल्य क्या है?

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आरटीओ और पुलिस हैं बड़े जिम्मेदार
हाईवे पर हादसे का सबब बने ट्रकों और बसों के मनमानी खड़े होने के मामले में सबसे बड़े दोषी आरटीओ  और पुलिस, परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार ट्रकों और बसों का पंजीयन सहित परमिट प्रक्रिया की अनुमति तभी होती है जब बस संचालक इसके लिये गैरिज होने का उल्लेख करता है। ऐसे में हाईवे पर बिना परिमशन खड़े ट्रकों और बसों पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन यहां पुलिस और आरटीओ की स्थिति यह है कि वे मूकदर्शक अव्यवस्था के तमाशबीन बने हैं। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उनके पास कोई ठोस प्लान नहीं होता है।
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