Saturday, May 11, 2024
Hometrendingउपराष्‍ट्रपति प्रत्‍याशी बनाए जाने का बाद से राजस्‍थान के किठाना में उत्‍सव...

उपराष्‍ट्रपति प्रत्‍याशी बनाए जाने का बाद से राजस्‍थान के किठाना में उत्‍सव सा माहौल, जानिये जगदीप धनखड़ का जीवन परिचय…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जयपुर Abhayindia.com एनडीए के उपराष्‍ट्रपति प्रत्‍याशी बनाए जाने के बाद जगदीप धनखड़ के राजस्‍थान के चिड़ावा से करीब सत्रह किलोमीटर दूर स्थित किठाना गांव में उत्सव सा माहौल है। धनखड़ का जन्म इसी किठाना गांव में 18 मई 1951 को गोकुलराम धनखड़ के घर हुआ। गांव के चौक में उनकी पुश्तैनी हवेली भी है। धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी गांव के सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद नजदीकी गांव घरड़ाना से आठवीं पास की। ग्रामीण और बचपन के दोस्त बताते हैं कि घरड़ाना स्कूल तक साधन नहीं होने के कारण वे पैदल ही जाते थे।

आपको बता दें कि एनडीए की ओर से उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के ऐलान के बाद से ही गांव में खुशी का माहौल है। हर घर में मिठाई बांटी जा रही है। महिलाएं मंगल गीत गा रही है। चारों तरफ पटाखे छोड़े जा रहे हैं और पैतृक घर में देसी घी के दीपक जलाए गए हैं।

धनखड़ का जीवन परिचय…

-जगदीप धनखड़ ने उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद वे वकालत करने लगे। राजस्थान हाईकोर्ट में वर्षों तक वकालत की तथा 1986 में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।

-धनखड़ सदैव समाजसेवा से जुड़े रहे। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों और ट्रस्टों से जुड़कर समाज सेवा की। राजस्थान ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके है। जाटों को ओबीसी दर्जा दिलाने के लिए काफी प्रयास किए।

-वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झुंझुनूं से अपना प्रत्याशी उतारने की बजाय गठबंधन के तहत जनता दल प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया।

-धनखड़ तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर आते हैं। उनके बड़े भाई कुलदीप धनखड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते हैं। दूसरे नंबर पर स्वयं जगदीप तथा सबसे छोटे भाई रणदीप धनखड़ हैं जो कि आरटीडीसी चेयरमैन रह चुके हैं।

-मौजूदा वक्‍त में धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। 2019 में भाजपा ने उनको पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। तब से लेकर अब तक उनकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से ठनती रही। पिछले महीने उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल जगदीप धनखड़ शामिल हुए और उन्होंने कहा था कि ‘पश्चिम बंगाल में कानून का नहीं, शासक का राज है।

-बंगाल को लेकर धनखड़ ने कहा था कि चुनाव के बाद जो हिंसा का तांडव मैंने देखा, वो बयां नहीं कर सकता। मैंने मौतें देखीं, मार-काट देखी। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में वोट देने की कीमत मौत हो सकती है। ये मैंने खुद देखा है। मैंने बंगाल की अवाम की पीड़ा महसूस की है।

-धनखड़ ने साल 1989 में राजनीति में प्रवेश किया। पहली बार झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से भाजपा से सांसद निर्वाचित हुए। 1990 में वह देश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने। इसके बाद अजमेर जिले की किशनगढ़ से वह विधायक निर्वाचित हुए।

-भाजपा ने साल 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया था। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कभी नहीं बनी। उन्होंने कहा था कि ‘बंगाल में कानून का नहीं, शासक का राज है, जो किसी भी तरह से प्रजातांत्रिक मापदंडों से मेल नहीं खाता है। राज्यपाल के रूप में धनखड़ ने ममता बनर्जी के कई फैसलों को पलट दिया।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular