Sunday, May 19, 2024
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मकर संक्राति पर इस बार दो दिन चलेगा दानपुण्य का दौर

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बीकानेर abhayindia.com मकर संक्रांति का पर्व इस बार दो दिन आस्था व उल्लास के साथ 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन लोग स्नान, ध्यान और दान कर पुण्य कमाएंगे। महिलाएं अपने बुजुर्गों, सेवकों और जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, तिल व गुड़ से बने व्यंजन, कंबल आदि कल्प कर पुण्य का अर्जन करेंगी। मकर संक्रांति हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। वैसे तो सालभर में 12 सूर्य संक्रांति आती है, लेकिन मकर संक्राति का विशेष महत्व है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है, लेकिन इसके अलावा भी कई सारे बदलाव आते हैं। मकर संक्रांति का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन भगवान सूर्य देव मध्यरात्रि के बाद सुबह दो बजकर छह मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही एक माह से चल रहा मलमास भी समाप्त हो जाएगा। इस दिन पूरे दिन पुण्यकाल रहेगा।

ज्योतिषाचार्य पं. घेवरचंद भादाणी ने बताया कि इस दिन भगवान सूर्यदेव अपने शनिदेव से मिलने के लिए शनि के घर में प्रवेश करते हैं। इसके चलते लोग शनि के प्रकोप से बचने के लिए सूर्य को अघ्र्य चढ़ाते हैं। इस दिन से सूर्यदेव उत्तरायण होना शुरू हो जाएंगे। इससे दिन बड़े और रातें छोटी होना शुरू हो जाएगी। ऐसा माना जाता है कि बसंत का आगमन भी इसी दिन से होता है। वहीं मलमास समाप्त होने से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

मकर संक्रांति के दिन से ही जलाशयों में वाष्पन क्रिया शुरू होने लगती है, जिसमें स्नान करने से स्फूर्ति व ऊर्जा का संचार होता है। इसी कारण इस दिन पवित्र नदी और जलाशयों में स्नान करने का महत्व माना गया है। इस दिन गुड़ व तिल खाने का महत्व है। इससे शरीर को उष्णता व शक्ति मिलती है। इस दिन मूंग, चावल, मटर व अदरक से बनी खिचड़ी खाने से रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है।

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