








जयपुर Abhayindia.com प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टा लेना आसान काम नहीं। कई कानूनी अड़चनों के चलते लोगों की फाइल अटक रही है। लेकिन, अब सरकार की ओर से निकायों को इस संबंध में मार्गदर्शन जारी किया जाएगा। आपको बता दें कि जनवरी में जिला स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था। इसके लिए जयपुर मुख्यालय के अधिकारियों के अलग–अलग दल बनाए गए थे।
इन कार्यशालाओं में सामने आया कि विभिन्न कारणों के चलते निकायों में पट्टे देने के बड़ी संख्या में प्रकरण अटके हुए हैं। कार्यशाला में यह भी सामने आया कि शहरों की पुरानी आबादी क्षेत्र में पट्टा देने के लिए संपत्ति पर कब्जे के तौर पर 31 दिसंबर 2018 के पहले के दस्तावेज मान्य हैं। अगर कोई संपत्ति इस तिथि के बाद बिकी है तो निकाय ऐसी संपत्ति का पट्टा जारी नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे कई निकाय अधिकारियों का तर्क है खरीद–बेचान की रजिस्ट्री 31 दिसंबर 2018 के बाद की है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार अब नियमन की राह जल्द ही आसान करेगी। सरकार स्पष्ट करेगी कि 31 दिसंबर 2018 की कट ऑफ डेट संपत्ति के रहवास अथवा उसके उपयोग की है, रहवास और कब्जे के सबूत के तौर पर आवेदक जो दस्तावेज पेश करेगा वे इस कट ऑफ डेट तक के होने चाहिए। इस कट ऑफ डेट के बाद की तिथि में रजिस्ट्री के माध्यम से संपत्ति का बेचान हुआ है तो खरीदार को पट्टा दिया जा सकता है। कोई भूमि पहले कृषि भूमि थी लेकिन सेटलमेंट विभाग ने उसे आबादी भूमि मानी और वह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सिवायचक दर्ज है, तो ऐसी भूमि का पट्टा जारी किया जा सकता है, क्योंकि भूमि मूलत: कृषि भूमि है जो कि राजस्व रिकॉर्ड में खातेदारी में दर्ज थी। इसके अलावा किसी भूमि का पहले नगर सुधार न्यास अधिनियम की धारा 32 के तहत अधिसूचना जारी हुई है लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद निकाय ने आगे कोई कार्यवाही नहीं की और वह अधिसूचना लैप्स हो गई तो ऐसी जमीनों के भी प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे जारी किए जा सकते हैं।





