जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। राज्य सरकार ने 6 से 14 आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं को प्रारंभिक शिक्षा के लिए नि:शुल्क परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना 2017-18 के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं। इनके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयो में नामांकित कक्षा एक से पांच तथा 6 से 8 तक के उन सभी विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा जिनके निवास स्थान से एक किलोमीटर पर राजकीय प्राथमिक और दो किलोमीटर की दूरी तक कोई राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं है।
शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने बताया कि छितरी एवं कम आबादी वाले क्षेत्रों, ढाणियों जहां पर निर्धारित मानदंडानुसार विद्यालय संचालन संभव नहीं है, वहां निवास करने वाले 6 से 14 आयुवर्ग के सभी बालक-बालिकाओं को ट्रासपोर्ट वाउचर योजना से लाभान्वित किए जाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसके अंतर्गत कक्षा एक से पांच तक विद्यालय से एक किलोमीटर से अधिक की दूरी पर विद्यार्थी को प्रति उपस्थिति दिवस 10 रूपये तथा कक्षा 6 से 8 तक दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर 15 रुपये प्रति उपस्थिति दिवस ट्रांसपोर्ट वाउचर से लाभान्वित किया जाएगा।
देवनानी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयों में नामांकित कक्षा एक से पांच के ऐसे बालक-बालिकाएं जिनके पास अपने निवास स्थान से एक किलोमीटर की दूरी तक कोई राजकीय प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध नहीं है अथवा ग्रामीण क्षेत्र के कक्षा 6 से 8 के ?से विद्यार्थी जिनके निवास स्थान से 2 किलोमीटर की दूरी तक कोई राजकीय विद्यालय उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ट्रांसपोर्ट वाचर योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप वर्तमान में संचालित किसी भी विद्यालय को बंद या निकट के विद्यालय में समन्वयीकरण नहीं किया जाए।
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना का वित्त पोषण सर्व शिक्षा अभ्यिान में उपलब्ध बजट प्रावधान से होगा। योजना का संचालन राज्य स्तर पर राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद्, जिला स्तर पर डीपीसी और एडीपीसी-एसएसए, पंचायत स्तर पर पदेन पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईओ) एवं विद्यालय स्तर पर एसडीएमसी और एसएमसी द्वारा किया जाएगा। प्रवेशोत्सव के दौरान ट्रांसपोर्ट वाउचर संबंधित व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं ताकि 6 से 14 आयुवर्ग के बालक-बालिकाओं को सहज एवं गुणवत्तापूर्वक शिक्षा उनके निकटस्थ विद्यालयों में सुगमता से मिल सके।