Wednesday, May 14, 2025
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बीकानेर: रंगों से नहाया शहर, गुलाल का छाया गुब्बार, हर्षोल्लास से मनाया होली का पर्व…

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बीकानेर abhayindia.com शहर में छाया गुलाल गुब्बार। अलग-अलग रंगों से रंगे चेहरे। कही मस्तानों की टोलियां, तो कही एक दूसरे के गाल पर गुलाल-रंग लगाकर होली की मस्ती को परवान चढ़ाते युवा। रंगों का त्योहार बीकानेर में हर्षोल्लास, उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया।

पहले दिन होलिका दहन कर भक्त प्रहलाद को बचाया। अगले धुलंडी के दिन रंगों से पूरा शहर सराबोर रहा। परम्पराओं का निर्वाह पूरे जोश व उत्साह के साथ किया गया। तीसरा दिन राम-राम में बीत गया। धुलंडी के दिन परम्परा के अनुसार विभिन्न जातियों के गेर अलग-अलग मोहल्लों में निकली। तो गुलाल का एक गुब्बार सा आसमान में छा गया।

हर्ष जाति के दूल्हे की निकली बारात...

बीकानेर में भीतरी परकोटे की परम्परा के अनुसार हर्ष जाति के युवा को दूल्हा बनाकर धुलंडी के दिन बारात निकाली गई। इसमें शामिल बारातियों की कई जगह खातिरदारी हुई। हर वर्ष हर्ष जाति के एक कुंवारे को दूल्हा बनाकर धुलंडी के दिन बारात निकालने की रियासतकालीन परम्परा चली आ रही है।

तणी टूटी तो उड़ी गुलाल…

नत्थूसर गेट बाहर हर वर्ष की तरह की इस बार भी बांधी गई तणी को तोडऩे की परम्परा निभाई गई। तो उस दौरान अलग-अलग जातियों की गेर एक स्थान पर ही एकत्रित हुए। होली की मस्ती में झूमते मस्तानों ने गुलाल उड़ाई तो माहौल पूरी तरह से होली की रंगत में रंग गया। इसके बाद देर शाम तक अलग-अलग जाति की गेर घूमती रही। अंत में देवी माता से बच्चों की कुशल मंगल, परिवार, शहर में सुख-समृदि की अरदास की गई।

-एक घर में बालि गणगौर का पूजन करती बालिकाएं।

उठी-उठी गवर निंदाड़ो खोल…

‘उठी-उठी गवर निंदाड़ों खोल-निंदाड़ों खोल…छोरयां आई गवर पूजणने…
धुलंडी के दिन से बालि गणगौर के गीत गूंजने लगे। इस दिन से बालिकाओं ने बालि गणगौर का पूजन शुरू कर दिया। यह एक पखवाड़े तक चलेगा। अंतिम दिन बालि गणगौर की विदाई होगी और धींगा गणगौर का पूजन शुरू हो जाएगा।

-बारहगुवाड़ में गणगौर गीतों की प्रस्तुतियां देते पुरुष।

…छोड़ गवरल ईसर रो दुपट्टो

परम्परा के अनुसार धुलंडी की शाम से ही बारहगुवाड़ में पुरुष मंडलियां गणगौर के गीत गाते हैं। इसकी विधिविधान से शुरुआत धुलंडी के दिन शाम से ही हो गई। इसमें जुगल किशोर ओझा(पुजारी बाबा) के सान्निध्य में पुरुषों की टोलियां गण्गौर के गीतों की प्रस्तुतियां देती है। यह क्रम अब लगातार चलेगा, इसमें यह मंडलियां श्रद्धालुओं के घर-घर जाकर गणगौर के गीत गाते हैं।

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