






बीकानेर Abhayindia.com सरकार ने कोविड-१९ को देखते हुए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। वहीं अब विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोत्तरी की घोषणा की गई है। सरकार के इस कदम से कर्मचारी वर्ग में रोष है। कर्मचारियों के संगठन ने सरकार के इस निर्णय की निंदा की है।
अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष विधानी ने रोष जताते हुए कहा है कि प्रदेश में मंत्रालयिक कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांग ग्रेड पे 3600 को दरकिनार करते हुए राजस्थान के विधायकों के किराया भत्ता में बढ़ोतरी की गई है, जो निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय कर्मचारी सरकारी तंत्र में रीड की हड्डी होते हैं सरकार को विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी के साथ मंत्रालयिक कर्मचारियों के हितों का भी ख्याल रखना चाहिए था। सरकार मंत्रालय कर्मचारियों की मांगों को दरकिनार कर अपने हितों का साध रही है।
कोरोना काल की स्थिति में भी राज्य सरकार विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों के वेतन से कटौती कर रही है, सरकार का यह कदम दोहोरी नीति है।
दुर्भाग्यपूर्ण है…
संगठन के पदाधिकारियों ने रोष जताते हुए कि हाल ही में सांसद को दिए गए एक पत्र में सरकार ने मंत्रालयिक कर्मचारियों के ग्रेड पे को 3600 को युक्ति संगत नहीं बताया , सरकार का यह कथन दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे मंत्रालय कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त पनप रहा है।
सरकार कर रही छलावा…
सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों के साथ छलावा कर रही है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष विधानी ने बताया कि यदि सरकार कर्मचारियों के ग्रेड पे 3600 के मामले में संज्ञान नहीं लेती है तो मंत्रालयिक कर्मचारियों की ओर से कभी भी प्रदेश स्तर पर बड़े आंदोलन की घोषणा की जा सकती है।



