Wednesday, May 14, 2025
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यह सर्जरी देती है दर्द के बिना जिन्दगी…

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बीकानेर Abhayindia.com आमतौर पर जिन खेलों में पिवट जैसा मूवमेंट ज्यादा होता है, उनमें घुटने के अंदर की संरचना को ज्यादा चोटिल होने की संभावना रहती है।

जैसा क्रिकेट, फुटबाल, बास्केटबाल,कब्बडी, कुश्ती एवं सड़क दुर्घटना में घुटने के अंदर की संरचना को ज्यादा चोटिल होने की संभावना रहती है। इसमें लिंगामेंट जैसे एसीएल, पीसीएल, एमसीएल, एलसीएल और गढ्धी की चोट सबसे ज्यादा आम है। ऐसी चोट के बाद मरीज को दर्द रहना, घुटना पूरे तरीके से न मुडऩा, सूजन रहना, चलते चलते गिर जाना या ऐसा लगना की जोड़ निकल जाएगा आदि लक्षण रहते है।

ऐसी स्थिति में आम तौर पर एक्स-रे सामान्य ही रहता है परन्तु एमआरआई की जांच कराने पर इन सभी स्ट्रक्चर की चोट का पता लगता है। आज हेवी वेट लिफ्टिंग या जिम की कसरत करने वाले को अधिकतर कंधे की चोट ज्यादा होने की संभावना रहती है जिसमें रोटेटर कफ टीयर, बैंकार्ट लीजन, हील सर्च लेसन, बाइसेप्स टेन्डीनाईटिस, रोटेटर कफ टेन्डीनाईटिस, केल्सीफिक टेन्डीनाईटिस, आम बीमारियां है।

आज के इस आधुनिक दौर में इन सभी घुटने एवं कंधे की चोट का इलाज दूरबीन द्वारा संभव है। इसमें मरीज को बिना चीरे के ऑपरेशन कम से कम अस्पताल में रुकना एवं घाव का जल्दी भर कर जल्द कसरत कर अपने खेल में वापिस लौटना संभव है। इस तरह के दूरबीन एवं लेजर से होने वाले ऑपरेशन को ऑर्थोरोस्कोपी कहते हैं।

आम तौर पर देखा गया है कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे घुटने एवं कुल्हों में दर्द बढऩे लगता है। वैसे तो इसके अनेक कारण होते हैं, लेकिन जो कारण सबसे ज्यादा आम हैं वह है घुटने या कुल्हे के जोड़ का घिस जाना, ग्रीस खत्म हो जाना व गैप कम हो जाना। इसके कारण मरीज को चलने फिरने में, सीढियां चढऩे उतरने में जमीन पर व इण्डियन टॉयलेट में बैठने पर दर्द की शिकायत होने लगती है।

मरीज के पैरों में सूजन रहने लगती है और साथ ही साथ उनके पैरों में टेढ़ापन आने लगता है। ऐसी स्थिति में हड्डी रोग रोग विशेषज्ञ से राय लेकर इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। इस बीमारी के शुरूआती समय में दवाईयां, सिकाई एवं व्यायाम से आराम मिलता है। परन्तु जैसे जैसे बीमारी बढ़ती जाती है उस समय जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ आपको घुटना या कुल्हा प्रत्यारोपण की सलाह दे सकते हैं।

घुटना या कुल्हा प्रत्यारोपण आज के इस आधुनिक युग में बहुत आम सर्जरी है। जिसमें आपके जोड़ के घिसे हुए हिस्से को स्मूथ कर उसका स्टील एवं अन्य मिश्र धातुओं से बना नया जोड़ लगा दिया जाता है। इस सर्जरी के बाद मरीज अपनी जिन्दगी बिना किसी दर्द से जी सकता है और पहले की तरह खूब घूम सकता है।
– डॉ. नरेन गौड़
जोड़ प्रत्योरोपण, आर्थोरोस्कोपिक (दूरबीन) एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ

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