Monday, October 28, 2024
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वास्तु सम्मत नहीं है तो पौधे भी बढ़ा सकते है पीड़ा , सही पौधे बन सकते है किस्मत की कुंजी

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वास्तु शास्त्र में हरियाली को बहुत महत्व दिया गया है। सही दिशा में वास्तु सम्मत लगे पेड़-पौधे घर के वास्तु दोष का निवारण करते हैं, लेकिन  पेड़-पौधे घर या उसके आसपास यदि उपर्युक्त दिशा में न हो तो यह शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। वास्तुविज्ञान के अनुसार यदि पेड़-पौधों को दिशाओं के अनुरूप सही स्थान दिया जाए तो ये चमत्कारिक लाभ प्रदान करते हैं।

घर के बगीचे या बालकनी में उत्तर-पूर्व एवं पूर्व दिशा में छोटे पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, लिली, केला, आंबला, हरीदूब, पुदीना, हल्दी आदि लगाने चाहिए। इन दिशाओं में छोटे पौधे होने से उगते हुए सूर्य की स्वास्थ्यवर्धक रश्मियां घर में प्रवेश कर सकेंगी, जिससे परिवार के सदस्यों की सेहत दुरुस्त रहेगी, सामाजिक रिश्ते मजबूत होंगे। सनातन धर्म में तुलसी के महत्त्व के लिये स्पष्ट रूप से कहा कहा गया है- देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चम्पा, अर्जुन, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेशर, अड़हुल, महुआ, वद, सेमल, बकुल, शाल आदि वृक्ष घरके पास शुभ हैं। पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा, पीपल, कपित्थ, अगस्त्य, बेर, निर्गुण्डी, इमली, कदम्ब, केला, नींबू, अनार, खजूर, बेल आदि वृक्ष घरके पास अशुभ हैं।

आंवले के पौधे को भी बेहद शुभ माना जाता है। इसे लगाते समय ध्यान रखें कि इसे घर की उत्तर या पूर्व दिशा में ही लगाएं। आंवला का पौधा और आंवला दोनों ही भगवान विष्णु के प्रिय हैं। ऐसे में इसे घर में लगाने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका। प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति ॥(समरांगणसूत्रधार ३८। १३१)

वास्तु के अनुसार, क्रासुला का पौधा कुबेर देव का प्रिय पौधा माना गया है। इसे लगाने के लिए घर की उत्तर दिशा को सबसे अच्छा माना गया है। नवग्रहों के लिए नवग्रह वाटिका ओर नक्षत्रों के लिए नक्षत्र वाटिका के साथ में रुद्राक्ष का पौधा लगा सकते हैं। इसके अलावा जिस घर में बेर, केला  तथा नींबू  उगते हैं, उस घर में बरकत  नहीं होती।’

ध्यान रखना चाहिए कि उत्तर और पूर्व में कम घने और छोटे पौधे ही लगाए जाएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में कोई अवरोध नहीं हो। कई भवन, बंगले, हवेलियाँ व सार्वजनिक स्थान बनते वक्त बड़े वैभवशाली नजर आते हैं और वहाँ पर बहुत जीवंतता नजर आती है। बीस-पच्चीस साल बाद वहीं भवन  जीर्ण-शीर्ण तथा जर्जर नजर आते हैं, और वहाँ पर रहने वाले लोग भी बहुत परेशान नजर आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है, कि जब उस भवन का निर्माण हुआ था तब उत्तर पूर्व व ईशान में लगे पेड़-पौधे छोटे थे, तथा सुबह के समय सूर्य की जीवनदायी ऊर्जा काफी मात्रा में उस भवन तक पहुँचती थी। जैसे-जैसे पौधे विशाल वृक्ष बनते गए वहाँ सूर्य की सकारात्मक किरणों का आना घटता गया। इसके स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती गयी। इसी अनुपात में उस भवन में निवास करने वालों की परेशानियों भी बढ़ती गयीं। योग्य वास्तुविद् के मार्ग-दर्शन से पेड़-पौधों को सही दिशा में लगाने से बहुत लाभ प्राप्त किया जा सकता है और वहाँ निवास करने वाले सुखी, सम्पन्न एवं प्रसन्न रह सकते हैं।

घर के पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री और सन्तानकी हानि करनेवाले हैं। यदि इन्हें काटा न जा सके तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दें। काँटेवाले वृक्ष शत्रु से भय देने वाले, दूध वाले वृक्ष धन का नाश करने वाले और फल वाले वृक्ष सन्तान का नाश करने वाले हैं। इनकी लकड़ी भी घर में नहीं लगानी चाहिये- आसन्नाः कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय । फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेदेषाम् ।। (बृहत्संहिता ५३। ८६)

घर के सामने के बगीचे को सुंदर व अच्छे तरीके से लगाना चाहिए। बेतरतीब उगे हुए झाड़-झाड़ियाँ उस घर के लोगों की मानसिक कमजोरी का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे घरों में रहने वाले अपने मित्रों की चालाकियों से परेशान रहते हैं और गलत लोगों के संपर्क में आते हैं।

सार यह कि  पौधे घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। पौधे घर में सुख और समृद्धि लाते हैं। पौधे घर में स्वच्छ वायु और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। पौधे घर में मानसिक शांति और तनाव कम करते हैं। साथ ही सावधानी जरूरी है जैसे  घर में कांटेदार पौधे न लगाएं। घर में जहरीले पौधे न लगाएं। इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए घर में पौधे लगाने से वास्तु लाभ और सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

वास्तु नियमों से होगी सफाई तो अच्छी होगी कमाई

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