




जयपुर Abhayindia.com उच्च न्यायालय जयपुर और उच्च न्यायालय जोधपुर डीबी द्वारा सोमवार को पारित निर्णय के साथ ही राज्य में बजरी खदानों की नए सिरे से नीलामी की राह प्रशस्त हो गई है। उच्च न्यायालय जयपुर ने बजरी नीलामी से संबंधित पांच याचिकाओं पर राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय पारित करते हुए पांचों याचिकाएं खारिज कर दी हैं वहीं, जोधपुर उच्च न्यायालय की डबल बैंच द्वारा सत्य स्वरुप सिंह जादौन की तीनों याचिकाओं को खारिज करते हुए निस्तारित कर दिया है।
माइंस विभाग से संबंधित न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों की राज्य सरकार स्तर पर सचिव माइंस आनन्दी एवं विभाग स्तर पर डीएमजी द्वारा नियमित मोनेटरिंग के कारण विभागीय पक्ष को समय पर प्रभावी तरीके से रखा जा रहा है। जिससे सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही जोधपुर उच्च न्यायालय द्वारा बजरी से संबंधित ही याचिकाओं को खारिज करते हुए निस्तारित किया गया है।
विभाग द्वारा टोंक बनास क्षेत्र के प्लॉट 1, 9 और 14 नंबर करीब 154 हैक्टेयर बजरी खदानों की नीलामी में अरावली रिसोर्सेज द्वारा अधिकतम बोली लगाई गई थी। सफल नीलामी के बाद संबंधित बोलीदाता द्वारा 15 दिन में 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को जमा करानी थी पर अरावली रिसोर्सेज द्वारा 40 प्रतिषत राशि राजकोष में जमा कराने के स्थान पर कोर्ट में नीलामी शर्तों पर प्रश्न उठाने के साथ ही 40 प्रतिशत राशि जमा नहीं कराने के कारण राज्य सरकार द्वारा नियमानुसार राशि फोरफिट करने के साथ विभागीय ऑक्शन से 5 साल से डिबार किये जाने खिलाफ न्यायालय में वाद जारी कर बजरी नीलामी प्रक्रिया को बाधित कर दिया।
राज्य सरकार द्वारा अरावली रिसोर्सेज फर्म के तीनों प्लाटों की नीलामी में हिस्सा लेते समय नियमानुसार जमा कराई गई बीड सिक्योरिटी की राशि 40-40 लाख रु. प्रति प्लॉट राशि कुल एक करोड़ 20 लाख रु. नियमानुसार राजकोष में जमा कर लिए गए। इसी तरह से गुरुकृपा लोजिस्टिक द्वारा टोंक बनास के ही प्लॉट 8 व 10 नंबर करीब 150 हैक्टेयर बजरी खदानों के लिए अधिकतम बोली लगाई गई थी।
नीलामी के बाद निर्धारित 15 दिन में 40 प्रतिशत राशि नहीं जमा कराने के कारण विभाग द्वारा नियमानुसार कार्यवाही करते हुए बिड सिक्योरिटी राशि 80 लाख रु. फोरफिट करने के साथ ही ऑक्षन प्रक्रिया में भाग लेने से पांच साल के लिए डिबार करने के खिलाफ कोर्ट में गए थे। उच्च न्यायालय जयपुर द्वारा सरकार द्वारा की गई कार्यवाही को सही ठहराते हुए अरावली रिसोर्सेज की तीन याचिकाओं व गुरुकृपा लोजिस्टिक की दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। जयपुर उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की और से एएजी भरत व्यास ने सरकारी पक्ष रखते हुए प्रभावी तरीके से पेरवी की। इन प्रकरणों के प्रभारी अधिकारी एसएमई जयपुर एनएस शक्तावत थे।
इस तरह से उच्च न्यायालय जोधपुर की डबल बैंच ने सत्य स्वरुप सिंह जादौन द्वारा दायर तीन याचिकाओं को निस्तारित करते हुए तीनों ही याचिकाओं को खारिज कर दिया। जादौन द्वारा टोंक, भीलवाड़ा, राजसमंद, नागौर, अजमेर, सिरोही जिले की बजरी खानों की नीलामी की पूर्व औपचारिकताओं पर आपत्ती उठाते हुए रोक लगाने की पहले सिंगल बैंच व उसके बाद डबल बैंच में 3 याचिकाएं दायर की गई थी। जोधपुर उच्च न्यायालय में एएजी महावीर विश्नोई ने प्रभावी तरीके से पेरवी करते हुए सरकार का पक्ष रखा।
विभाग की ओर से अतिरिक्त निदेशक माइंस जयपुर बीएस सोढ़ा इन प्रकरणों में प्रभारी अधिकारी रहे। न्यायालय द्वारा याचिकाओं के निस्तारण के साथ ही इन प्लाटों की नीलामी या अग्रिम कार्रवाई की राह प्रशस्त हो गई है वहीं, नए सिरे से नीलामी होने से इन क्षेत्रों में बजरी का वैध खनन हो सकेगा। बजरी सीधे आम आदमी से जुड़ी होने से राज्य सरकार बजरी को लेकर गंभीर है।
प्रदेश में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण पर रोक लगाने के साथ ही वैध बजरी की सहज उपलब्धता के लिए राज्य सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। नीलामी के वाद की परिस्थितियों के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रभावी तरीके से सरकारी पक्ष रखते हुए याचिकाओं को जल्द से जल्द निस्तारित कराने के प्रयास किये गये।





