जब वे विदेश गए (आचार्य ज्योति मित्र का व्यंग्य)

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में अगुआ रहे काका कर्मदास के कर्मो का फल था या ये कहे कि हमारे कुकर्मो का, काका अंग्रेजों के देश चले गए। होनी को कौन टाल सकता है। उम्र भर फिरंगियों के खिलाफ फतवे जारी करने वाले काका के बेटे की सर्विस लंदन में लग गई। यहां तक तो हमें … Continue reading जब वे विदेश गए (आचार्य ज्योति मित्र का व्यंग्य)