साहित्य में सुपारी वाद

-आचार्य ज्योति मित्र लद गए माफिया व दबंगों के दिन अब सुपारी लेने पर उनका एकाधिकार नहीं रहा। साहित्य में भी सुपारी लेने और देने का चलन शुरु हो गया है। दबंग तो अब बेचारे लगने लगे हैं। यह बात अलग है कि यहां सुपारी लेकर किसी व्यक्ति का नहीं, वरन साहित्य का ही काम … Continue reading साहित्य में सुपारी वाद