श्री अभय जैन ग्रंथालय के शताब्दी वर्ष पर विशेष : साहित्यागर के जय-वीरू अगर-भंवर (चाचा-भतीजे की जोड़ी)

भारतीय प्राच्यविद्या को संरक्षित करने के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने वाले दो महापुरुषों की कहानी है  कहा जाता है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता या यूं कहें किसी भी सफ़लता के पीछे व्यक्ति हो या संस्था किसी ना किसी का मूक त्याग होता है। श्री अभय जैन ग्रंथालय के पीछे अगर चंद … Continue reading श्री अभय जैन ग्रंथालय के शताब्दी वर्ष पर विशेष : साहित्यागर के जय-वीरू अगर-भंवर (चाचा-भतीजे की जोड़ी)