Sunday, May 12, 2024
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Order-Order : पेंशन भुगतान में हुए विलम्ब पर ब्याज का आदेश

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जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण जयपुर, चलपीठ जोधपुर ने सहायक वन संरक्षक जोधपुर के पद से सेवानिवृत भीकाराम पूनिया की अपील को स्वीकार करते हुए वन विभाग को उसे 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज प्रदान करने का आदेश पारित किया है। भीकाराम पूनिया की सहायक वन सरंक्षक के पद से सेवानिवृति 30 जून 2019 को हुई थी। सेवानिवृति के बाद उसके विरूद्व किसी भी प्रकार की कोई जांच लम्बित नहीं होने का प्रमाण पत्र भी विभाग द्वारा जारी कर दिया गया।

प्रार्थी के पक्ष में 24.08.2019 को पेंशन आदेश, भविष्‍य निधि व अन्य सभी पेंशन भुगतान संबधी आदेश जारी कर दिये गये किन्तु विभाग द्वारा जारी इन आदेशों में प्रार्थी के नाम की स्पेलिंग गलत होने से कोषालय विभाग द्वारा उसको भुगतान नही किया गया। प्रार्थी का पेंशन व उससे सम्बधित सभी भुगतान कोषालय विभाग द्वारा रोक देने पर उसके द्वारा विभाग को कई बार अभ्यावेदन प्रस्तुत किये गये मगर विभाग द्वारा उसकी नाम की स्पेलिंग मे कोई सुधार नही किया गया। प्रार्थी द्वारा नाम की स्पेलिंग के सुधार लिए मैट्रिक उत्तीर्ण की अंकतालिका व अन्य कई दस्तावेज विभाग के समक्ष प्रस्तुत किये गये मगर वन विभाग द्वारा हठधर्मिता के चलते कोई कार्यवाही नही की गई। इस पर प्रार्थी द्वारा पेंशन व अन्य पेंशन सम्बधी लाभ जारी करवाने के लिए उच्च न्यायायल के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की।

राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा 03.01.2020 को उसकी नाम की स्पेलिंग मे त्रृटि दुरूस्त कर उसे दो सप्ताह मे पेंशन जारी करने का आदेश वन विभाग को जारी किया। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद में प्रार्थी द्वारा कई बार फिर अभ्यावेदन प्रस्तुत करने पर भी प्रार्थी को पेंशन जारी नहीं की गई। विभाग द्वारा अंत में 03.03.2020 को प्रार्थी के पेंशन जारी करने के आदेश, भविष्‍य निधी जारी करने के आदेश व अन्य आदेशों में संशोधन कर संशोधित पेंशन व अन्य पेंशन सम्बधी लाभ के आदेश जारी किये।

वन विभाग के इस हठधर्मिता से व्यथित होकर प्रार्थी ने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक अपील राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में पेंशन आदेश जारी करने मे देरी करने के कारण उस पर ब्याज की मांग करने के लिए प्रस्तुत की। प्रार्थी के अधिवक्ता का अधिकरण के समक्ष यह तर्क था कि प्रार्थी की सेवानिवृति 30.06.2019 को हुई व उसे पेंशन व पेंशन के सबंधी परिलाभ मार्च 2020 मे प्रदान किये जो राजस्थान पेंशन नियम 1996 के नियम 89 का उल्लंघन है। नियम 89 मे यह स्पष्‍ट प्रावधान है किसी भी राजकीय कर्मचारी को उसके सेवानिवृति के 60 दिन के भीतर पेंशन व पेंशन सम्बधी सभी लाभ प्रदान कर दिये जाने चाहिए यदि उसके खिलाफ कोई जांच लम्बित नहीं है। साथ ही यदि कर्मचारी यह सिद्ध करने मे सफल रहता है कि पेंशन के भुगतान मे हुई देरी में उसके द्वारा कोई चूक या गलती नहीं की गई है तो वह पेंशन के भुगतान मे देरी पर 9 प्रतिशत ब्याज का हकदार होगा।

वन विभाग द्वारा वर्तमान अपील मे जवाब प्रस्तुत किया गया। वन विभाग द्वारा प्रस्तुत जवाब में यह कही भी अंकित नहीं था कि पेंशन में देरी के लिए प्रार्थी ही दोषी है। विभाग द्वारा दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की बात अवश्‍य कही गई।

अपीलार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए अधिकरण ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील को स्वीकार करते हुए, वन विभाग को यह आदेश प्रदान किया गया कि पेंशन के भुगतान मे हुई देरी के लिए अपीलार्थी दोषी नहीं है अत: वो ब्याज का हकदार है। उसे पेंशन नियम 1996 के नियम 89 के तहत 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से पेंशन परिलाभ देने मे विलम्ब अवधि का ब्याज दिया जाये व आदेश की पालना 3 माह में की जाए।

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