Sunday, September 15, 2024
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एसकेआरएयू बीकानेर व गुजरात के प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय के मध्य होगा एमओयू

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बीकानेर Abhayindia.com गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि गांव का पैसा गांव में और शहर का पैसा गांव में आएगा तब किसान समृद्ध होगा और यह प्राकृतिक खेती के जरिए संभव है। देश को फैमिली डॉक्टर की नहीं, प्राकृतिक किसान की जरूरत है। रासायनिक खेती ने पूरे भारत की धरती को बंजर बना दिया है। हमारे देश में आने वाले दस सालों में कैंसर का भयंकर विस्फोट होने वाला है। घर-घर शुगर के मरीज हो गए हैं। लिहाजा हमें रासायनिक और जैविक खेती की जगह प्राकृतिक खेती को अपनाने की सख्त जरूरत है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री देवी सिंह भाटी और गुजरात प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सी.के. टिम्बड़िया थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। कार्यक्रम में राजुवास के पूर्व कुलपति डॉ ए के गहलोत, कृषि विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार देवाराम सैनी, वित्त नियंत्रक राजेंद्र कुमार खत्री, एडीएम प्रशासन डॉ दुलीचंद मीणा सहित विवि के सभी डीन, डायरेक्टर्स समेत अन्य कार्मिक, किसान, कृषक महिलाएं और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रासायनिक खेती की गंभीरता को देखते हुए प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाने को लेकर एसकेआरएयू कुलपति डॉ अरुण कुमार को साधुवाद दिया। साथ ही कहा कि एसकेआरयू में प्राकृतिक खेती का ट्रेनिंग सेंटर भी बनाएं। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को राष्ट्रव्यापी अभियान बना दिया है। यह मिशन पूरे देश में चलने वाला है। उन्होंने कहा कि 60 साल पहले देश में भुखमरी की स्थिति थी तब कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन हरित क्रांति लाए। जो समय की जरूरत थी। अब हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। लेकिन अब हरित क्रांति के नाम पर रासायनिक खेती का अंधाधुंध अभियान चलाया जा रहा है। जिसे रोकने की आवश्यकता है। डॉ स्वामीनाथन ने जो काम किया, हम उनके आभारी हैं लेकिन अब पुन हवा,पानी, जमीन और लोगों के स्वास्थ्य को बचाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एम्स के डॉक्टर्स की एक टीम से तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सर्वे करवाया तो पता चला कि जहां यूरिया, डीएपी का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है वहां कैंसर के रोगी ज्यादा हैं। अन्य बीमारियां भी ज्यादा हो रही हैं। भावी पीढ़ी में नपुंसकता आ रही है। कृषि विश्वविद्यालयों में रासायनिक खेती ही पढ़ाई जा रही है। जो भारत की मूल विद्या है ही नहीं। विदेशी पद्धति को उधार लेकर पढ़ाया जा रहा है। देश की धरती का ऑर्गेनिक कार्बन 2 से 2.5 प्रतिशत था जो रासायनिक खेती के चलते 0.4 रह गया है। हमने रासायनिक खेती के जरिए केंचुओं को मार कर महापाप किया है।

राज्यपाल ने कहा कि पिछले साल देश में 2.5 लाख करोड़ का यूरिया, डीएपी भारत सरकार ने आयात किया। हम भारत का धन बाहर भेजकर बदले में जहर खरीद रहे हैं। धरती हमारी मां है ये हमें जीवन भर पालती है लेकिन हमने यूरिया, डीएपी और रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग कर इसे जला दिया है। अब धरती में ताकत नहीं बची। लेकिन प्राकृतिक खेती के जरिए केवल दो साल में ताकत हासिल किया जा सकता है।हरियाणा के कुरूक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के जरिए हमने जमीन का ऑर्गेनिक कार्बन 0.23 से बढ़ाकर 1.7 कर लिया है। गुजरात में 10 लाख किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं इसे बढ़ाकर 20 लाख करने का लक्ष्य है। हिमाचल प्रदेश में एक भी ग्राम पंचायत ऐसी नहीं है जहां प्राकृतिक खेती ना होती हो।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को एक ही बताने का दुष्प्रचार भी किया जा रहा है जबकि दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। जैविक खेती में ना लागत और ना ही मेहनत कम होती है। उत्पादन भी नहीं बढ़ता। लिहाजा जैविक खेती को किसानों ने स्वीकार ही नहीं किया। विदेशी गायों को लेकर कहा कि ये किसी काम की नहीं। ना इनका ए-1 दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा और ना ही इनका गोबर और गोमूत्र काम का। विदेशी गाय के एक ग्राम गोबर में 70 लाख और देशी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। इसी प्रकार साथ ही देशी गाय के गोमूत्र में पर्याप्त मात्रा में खनिज पाए जाते हैं।

विशिष्ठ अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री देवी सिंह भाटी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक अच्छा कार्य करें ताकि किसानों को फायदा हो। साथ ही कहा कि सरकार ने बड़े बड़े संस्थान तो खोल दिए लेकिन इनके रिजल्ट भी आने चाहिए। गुजरात प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सी.के. टिम्बड़िया ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय देश का पहला प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय है। अब स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय ने भी प्राकृतिक खेती की दिशा में पहल की है अब हम दो बहनें हो गई हैं। जहां जहां हमारी जरूरत पड़ेगी, हम एसकेआरएयू को सहायता के लिए तैयार रहेंगे। कुलपति डॉ अरुण कुमार ने देश में प्राकृतिक खेती की आवश्यकता को लेकर स्वागत उद्बोधन दिया।

कार्यक्रम में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर व गुजरात के प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय के मध्य एमओयू हुआ। जिसके तहत अब प्राकृतिक खेती को लेकर दोनों विश्वविद्यालयों में शोध से लेकर अन्य गतिविधियों का आदान-प्रदान हो सकेगा। कार्यक्रम में अतिथियों ने पोस्टर प्रस्तुति में उत्कृष्ट प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र का वितरण किया।

आयोजन सचिव डॉ वी.एस. आचार्य ने संगोष्ठी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के आखिर में कार्यक्रम संयोजक और कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ पी.के. यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती पूजन से हुई। आए हुए अतिथियों का साफा पहनाकर और बुके भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय कुलगीत, विश्वविद्यालय प्रगति के सोपान का वीडियो प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ मंजू राठौड़ और डॉ सुशील ने किया।

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