Friday, May 17, 2024
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राजस्‍थान में भू-जल पर मंत्री का बयान- सिर्फ 38 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे हैं…

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जयपुर Abhayindia.com जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान की विशेष परिस्थितियों एवं यहां भू-जल की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए अटल भू-जल योजना का दायरा बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी ब्लॉक्स में इसे संचालित किया जाना चाहिए ताकि भू-जल के स्तर में सुधार किया जा सके।

डॉ. जोशी अटल भू-जल योजना के तहत मंगलवार को दुर्गापुरा स्थित राजस्थान राज्य कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं भूजल प्रबंधन कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यहां भूजल की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के कुल ब्लॉक्स में से सिर्फ 38 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे हैं। 219 ब्लॉक अति दोहित, 22 क्रिटिकल एवं 20 सेमी क्रिटिकल तथा 3 ब्लॉक सलाइन की श्रेणी में है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के रेगिस्तानी जिलों में जल जीवन मिशन में प्रति कनेक्शन खर्च 70 हजार से लेकर 2.5 लाख रूपए तक आ रहा है। उन्होंने केन्द्र सरकार के समक्ष राजस्थान की विशेष परिस्थितियों को समझते हुए इसे विशेष दर्जा देने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि भूजल प्रबंधन पर कार्यशाला के लिए राजस्थान सर्वाधिक उपयुक्त जगह है। उन्होंने प्रतिमाह इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन पर जोर देते हुए कहा कि कार्यशाला किसी दूर-दराज के क्षेत्र में भी हो ताकि प्रतिभागी राजस्थान में जल संकट की गंभीरता से रू-ब-रू हो सकें।

प्रतिदिन पेयजल आवश्यकता होगी 350 करोड़ लीटर

अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान में पानी की उपलब्धता के मुकाबले जरूरत काफी अधिक है। यहां देश का 12 प्रतिशत पशुधन है। पेयजल जरूरतों के साथ ही यहां पशुधन के लिए पानी की अतिरिक्त आवश्यकता रहती है। किसानों के लिए सिंचाई के पानी की जरूरतों का भी ध्यान रखना होता है। राज्य में 60 प्रतिशत पेयजल जरूरतें भूजल से पूरी होती हैं लेकिन यहां भूजल की स्थिति चिंताजनक है। भूजल पुनर्भरण के मुकाबले दोहन 151 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन पूरा होने के बाद प्रतिदिन पेयजल की आवश्यकता 350 करोड़ लीटर हो जाएगी। अभी जल उपलब्धता 130 करोड़ लीटर है। ऎसे में, तीन गुना अधिक पानी उपलब्ध कराना एक चुनौती होगी। मिशन पूर्ण होने के बाद प्रतिदिन निकलने वाले अपशिष्ट जल के प्रबंधन एवं उसकी उचित निकासी का रोडमैप भी तैयार करना होगा।

कार्यक्रम की शुरूआत में जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईडी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने दीप प्रज्वलन किया। मुख्य अभियंता भूजल एवं परियोजना निदेशक, अटल भूजल सूरजभान सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कार्यशाला में होने वाले विभिन्न सत्रों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के 100 प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।

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