डॉ. नदंकिशोर आचार्य के एकल काव्य पाठ में बही भाव सरिताएं…
बीकानेर abhayindia.com “कब तक और छीलता रहूँ अपने को लफ्ज-दर-लफ्ज रचता हुआ अपनी मृत्यु कविता में कविता प्रेम है क्या छिल कर रन्दे से जिस के छिलका-दर-छिलका बिखरना है रचना खुद को।’’ इस प्रकार की काव्य पंक्तियों के माध्यम से अपने को निरंतर परिष्कृत करने के भावों की अनुभूति कर शहर के साहित्यकार, नाटककार, रंगकर्मी … Continue reading डॉ. नदंकिशोर आचार्य के एकल काव्य पाठ में बही भाव सरिताएं…
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