बीकानेर Abhayindia.com अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित शतरंज शिविर के शुभारम्भ के अवसर पर सुप्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक एस. एल. हर्ष ने कहा कि शतरंज को अभ्यास के द्वारा ही सीखा जा सकता है। शतरंज के खेल में प्रत्येक मोहरे को एक निश्चित स्थान दिया जाता है उसके पीछे भी तार्किक सोच होती है। हर्ष ने हाथी का उदाहरण देते हुए कहा कि सेना में हाथी को एकदम किनारे खड़ा किया जाता है क्योंकि हाथी के चोट लगने पर वह अपनी ही सेना को नुकसान पहुंचा देता है, इसी प्रकार शतरंज की बिसात पर हाथी को दोनों किनारों पर रखा जाता है।
उन्होंने कहा कि शतरंज के खेल में जीतने के लिए हमें राजा को बचाना होता है और इसके लिए हमें मजबूत रणनीति बनानी होती है। शतरंज खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक अनिल बोड़ा ने कहा कि शतरंज से मानसिक सोच के विकास के साथ-साथ खिलाड़ी में धैर्य प्रवृति का विकास भी होता है।
बोड़ा ने कहा कि शतरंज के खेल से किसी भी खिलाड़ी का व्यक्तित्व बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि शतरंज के माध्यम से गणना की प्रवृति बढ़ती है तथा आईक्यू बढ़ता है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आए फारूक चौहान ने कहा कि शतरंज खेलने से जीवन का सर्वांगीण विकास होता है क्योंकि यह खेल पूर्णतया अनुशासन का खेल है जिसमें बुद्धि को परखा जाता है। शतरंज हमें जीवन में आने वाली मुश्किलों को लड़ने के लिए तैयार करता है।
शतरंज खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक भानू आचार्य तथा कपिल पंवार ने इस अवसर पर बच्चों को शतरंज की बारीकियों के बारे में बताते हुए खेल को लिखना एवं समझने के बारे में बताया। संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम के शुरूआत में कहा कि प्रति वर्ष अजित फाउण्डेशन द्वारा शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है लेकिन इस वर्ष शतरंज प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सके। शिविर में लगभग 40 प्रतिभागी बीकानेर के विभिन्न हिस्सों से भाग ले रहे हैं।