







सुरेश बोड़ा/बीकानेर abhayindia.com बीकानेर में बीते एक पखवाड़े में कोरोना के बढ़े मामलों ने यहां के प्रशासनिक तंत्र की पोल पूरी तरह खोल कर रख दी है। इस अवधि में शहरभर में शादियों और नए घरों में प्रवेश के नाम पर जमकर दावतें उड़ाई गई। इन दावतों में न केवल आमजन, बल्कि सरकारी कारिंदों के अलावा सफेदपोश भी अपने चेहरे चमका कर पहुंचे। इस दौरान गाइड लाइन की धज्जियां उड़ती गई, लेकिन सिस्टम के आला अफसर अपने चाटुकारों के माध्यम से अपनी मार्केटिंग में मशगूल होते रहे। उनकी कारगुजारियों का दंड ही आज बीकानेर का आम-अवाम कर्फ्यू के रूप में झेलने को मजबूर है।

हालांकि, इसमें अकेले सिस्टम का दोष भी नहीं है। उनके ऊपर बैठने वाले कथित सफेदपोश आका भी इसके बराबर के जिम्मेदार है। यह बात इसलिए लिखी जा रही है, क्योंकि उन्होंने न तो उस समय संज्ञान लिया जब दावतें चारों ओर उड़ रही थी, और न ही आज संज्ञान ले रहे हैं। जरूरत है ऐसे लापरवाह सरकारी कारिंदों के खिलाफ कार्रवाई की, जो समय रहते न तो खुद चेते और न ही आमजन को चेताया। आज जो कर्फ्यू की नौबत आई है उसके लिए कहीं न कहीं सिस्टम के वे लापरवाह कारिंदे ही जिम्मेदार होंगे, जो केवल और केवल अपनी झूठी मार्केटिंग के लिए चाटुकारों से घिरे हुए थे। इन कारिंदों ने अपने ऐसे अनगिनत फोटो खिंचवाए जिनमें उनका मास्क उनके गले पर लटका हुआ नजर आ रहा था। यह सोचने की बात है कि आम-अवाम जब ऐसे फोटो देखेगा तो भला वो खुद मास्क को लेकर कितना गंभीर होगा?

सिस्टम के कारिंदों की कारगुजारियां यहीं पर नहीं थमी। इसके बाद भी जारी रही। इधर, कोरोना पॉजीटिव केस आते रहे और उधर, कागजी कर्फ्यू लगते रहे। संवेदनशील इलाकों में सख्ती के लिए कोई जाब्ता तैनात नहीं किया गया। कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में आवागमन रोकने के लिए केवल बल्लियां टांग दी गई, उसे भी शरारती उखाड़ कर ले गए। आचार्यों की घाटी सहित ऐसे कई कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र हैं जहां लगी बल्लियां अब खुद पुलिस को ही नहीं मिल रही। ये हालात सोये रहे सिस्टम की पोल खोलने के काफी है। ऐसे हालातों के बीच अब आम जन को यह बात समझनी ही होगी कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए अब खुद ही सचेत होना होगा। कोरोना को लेकर जारी गाइड लाइन की पूरी पालना करनी होगी। अपनी सुरक्षा अपने हाथ का नारा बुलंद करना होगा।
अब हालांकि, सिस्टम में काफी फेरबदल हुआ है। ऐसे में लोगों को भी यह उम्मीद बंधी है कि अब नई व्यवस्था के चलते शायद हालात में कोई सुधार हो जाए। बहरहाल, एक बात यह भी ध्यान रखनी होगी कि सिस्टम के साथ घुल-मिल कर अपने काम निकलवाने वालों को उनकी जमीन दिखाई जाए ताकि सिस्टम पूरी मुस्तैदी के साथ आमजन का सहयोग लेकर कोरोना को हरा सके।
बीकानेर में कोरोना : सिस्टम को अब कमर और कसनी होगी, ऐसे बन रहे हैं चिंताजनक हालात…
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