







जयपुर Abhayindia.com पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि ए-हेल्प योजना महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की एक और पहल है। इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य और पशुधन उत्पादन के विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त अभिकर्ता को स्थापित करना है।
कुमावत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के पशुपालकों को पशु चिकित्सा संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ए-हेल्प योजना के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह योजना केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। उत्तर भारत में इस योजना को लागू करने वाला राजस्थान दूसरा प्रदेश है। वर्तमान में यह योजना देश के 11 राज्यों में संचालित है।
कुमावत ने बताया कि पशुधन उत्पादों की तेजी से बढ़ती मांग महिलाओं के सशक्तिकरण के अवसर पैदा करती है। ऐसे में पशुधन मालिक, प्रसंस्करणकर्ता और पशुधन उत्पादों के उपयोगकर्ता के रूप में महिलाओं की भूमिका की पहचान और उनकी निर्णय लेने की शक्ति और क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक और अभिनव कदम है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से पशु सखियों के एकजुटता से पशुपालकों से जुड़ने पर न केवल पशुधन उत्पादों में वृद्धि होगी बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। साथ ही देश में आ रही नई नई तकनीकों का भी प्रसार ये पशु सखियां करेंगी। पशु सखियों के माध्यम से पशुपालकों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी मिलेगी और उसके उपयोग से वे अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना पाएंगे। साथ ही पशु सखियां प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने क्षेत्र में स्वयं को और ज्यादा सक्षम बन पाएंगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर ये पशु सखियां आने वाले दिनों में अपने अपने क्षेत्र में अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगी और पशुपालकों को इनसे काफी सहयोग मिल सकेगा।
इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव, पशुपालन विभाग श्री विकास सीताराम भाले ने कहा कि राजस्थान की बड़ी आबादी खेती और पशुपालन पर निर्भर करती है। ऐसे में इस क्षेत्र में नए- नए नवाचार कर इसे और अधिक उन्नत और सशक्त बनाने की आवश्यकता है। ए- हेल्प एक ऐसा ही कार्यक्रम है जिसके जरिए पशुपालकों को उनके दरवाजे पर ही पशु सखी के माध्यम से पशुपालन संबंधी सारी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान में 9000 पशु सखियों के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है। इसका अर्थ है कि लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत पर पशुपालकों की सहायता के लिए एक पशु सखी उपलब्ध होगी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने स्वागत उद्बोधन में पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारे देश में कृषि के साथ-साथ पशुपालन हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। घर में पशुधन के रखरखाव और उनकी देखभाल महिलाएं ही करती हैं। ऐसे में महिलाओं को पशु सखी की भूमिका देना वास्तव में सराहनीय कदम है। पशु सखियां गांव की भौगोलिक और सामाजिक परिवेश को भी अच्छी तरह समझती हैं ऐसे में निश्चित ही इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत सरकार के संयुक्त आयुक्त भूषण त्यागी ने इस अवसर पर कहा कि पशुचिकित्सकों के पास इतना समय और संसाधन नहीं है कि वे सुदूर क्षेत्रों के सभी पशुपालकों के पास जाकर उनको जानकारी उपलब्ध करा सकें इसलिए भारत सरकार ने ग्रामीण विकास से जुड़ी सखियों को पशुपालन से जोड़कर उन्हें पशुचिकित्सकों और पशुपालकोें के बीच का एक सेतु बनाने का निर्णय लिया। इस कार्यक्रम से महिलाओं की क्षमता में अभिवृ़िद्ध होगी और उन्हें आर्थिक रूप से भी सहायता मिलेगी।
इस अवसर पर योजना पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया और पशु सखियों को मंत्री कुमावत ने प्रशिक्षण किट भी भेंट किया। कार्यक्रम को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के नेशनल मिशन मैनेजर डॉ विवेक कुंज, राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के टी. प्रकाश और राजीविका के चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर डॉ सुनील दत्तात्रेय ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ प्रकाश भाटी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में पशु सखियों के अलावा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।



