Friday, April 25, 2025
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बीकानेर : बच्चों का जीवन प्रयोगशाला नहीं : विजयवर्गीय,अभिभावक एकता संघ ने ऑनलाइन क्लासेज चालू रखने की उठाई मांग…

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बीकानेर Abhayindia.com प्रदेश के समस्त सरकारी व निजी विद्यालयों को 15 नवंबर से शत प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जाएंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए है।

वहीं दूसरी ओर अभिभावक एकता संघ राजस्थान ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग का यह निर्णय को बच्चों के जीवन के लिए जोखिम भरा है, जो निजी स्कूल मालिकों के दबाव में उठाया गया है। संघ इसे स्थगित करने की मांग की है।

अभिभावक एकता संघ राजस्थान के प्रदेश संयोजक मनीष विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा कानाराम को पत्र ने लिखा है। इसके जरिए बताया गया है कि बच्चों को बिना वैक्सीन लगे प्रदेश के लाखों अभिभावक अपने बच्चों का जीवन प्रयोगशाला के रूप में उपयोग की इजाजत नहीं देना चाहते लेकिन प्रदेश के निजी स्कूल राज्य सरकार की ओर से पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों जिसमें की छात्रों को स्कूलों में जाने के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी का निर्देश था, आरोप है कि अधिकांश निजी स्कूलों ने अभिभावकों की सहमति के लए पत्र का फॉर्मेट हस्ताक्षर के लिए जारी किया हैं, साथ ही दबाव डालने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं बंद करके ऑफ लाइन कक्षा को पूरी बकाया फीस जमा करवाने के बाद ही विद्यार्थी को कक्षा में प्रवेश करने की इजाजत देना, फीस वसूली का हथकंडा मात्र है।

एसओपी कागजी खानापूर्ति…

विजयवर्गीय के अनुसार 8 नवंबर को कोविड 19 परिदृश्य के संबंध में गृह विभाग के प्रधान सचिव अभय कुमार ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य होगा, इसमें मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना आदि। इस आदेश का उल्लेख करते हुए मनीष विजयवर्गीय ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के सीमित क्षेत्रफल एवं संसाधनों के बीच राजस्थान गृह विभाग द्वारा जारी एसओपी की बच्चों द्वारा पालन किए जाना एवं विद्यालय की ओर से करवाया जाना दोनों ही पूरी तरह अव्यावहारिक है।”

संघ के संयोजमक ने आरोप लगाय कि ऑनलाइन क्लासेज के विकल्प को बंद करते हुए शत प्रतिशत क्षमता से स्कूल खोले जाने का अव्यवहारिक सरकारी निर्णय निजी स्कूलों के प्रतिनिधि संगठनों की फीस वसूली की भावना के तहत दबाव में लिया गया निर्णय लगता है, यदि ऐसा नहीं है तो सरकार इसमें तुरंत संशोधन करें, अन्यथा मजबूरन अभिभावकों को ऐसे स्कूलों का बाय काट करना पड़ेगा।

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