Thursday, January 16, 2025
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अज्ञात बीमारी से हुई ऊँटों की मौत, जांच के लिए जैसलमेर पहुंचे एनआरसीसी के वैज्ञानिक

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर (एनआरसीसी) का वैज्ञानिक दल आज जैसलमेर में अज्ञात बीमारी मर रहे ऊँटों की जांच के लिए पहुंचा। पशुपालन विभाग जैसलमेर तथा समाचार पत्र में छपी जानकारी के आधार पर वैज्ञानिकों ने खेतोलाई, महेशों की ढाणी, उरानिया तथा जमानिया की ढाणी के ऊँटों के टोलों से लग भग 700 ऊँटों की जांच कीं। साथ ही इस क्षेत्र में ऊँटनी के पनपते दुग्‍ध उद्यम, स्वच्छ दूध उत्पादन को बढ़ावा देने और थनैला रोग से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एनआरसीसी द्वारा ऊँटों में थनैला रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए विकसित “का-मैस्टी-टेस्ट” (KaMastiTest) नामक एक नैदानिक परीक्षण का ऊँट पालकों के समक्ष प्रदर्शन भी किया गया।

एनआरसीसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश रंजन ने बताया कि पशुओं में अधिकतर किसी अज्ञात बीमारी का अधिक सं‍क्रमण होने से यह तेजी से अन्‍य स्‍वस्‍थ टोलों/जानवरों में भी फैल सकती है, इसमें पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए तथा बीमारी के शुरूआती लक्षणों में ही उचित प्रबंधन के लिए पशु चिकित्‍सालय से सम्‍पर्क करना चाहिए।

केन्‍द्र के निदेशक डॉ. आर. के. सावल जैसलमेर गए वैज्ञानिक दल से लगातार सम्‍पर्क में रहे तथा उन्‍होंने कहा कि एनआरसीसी उष्‍ट्र संरक्षण एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा उष्‍ट्र प्रजाति पर ऐसी किसी भी आपात स्थिति को गंभीरता व तत्‍परता से लेता है, इसी को दृष्टिगत रखते हुए वैज्ञानिकों को जैसलमेर भेजा गया ताकि पशुओं में फैली इस अज्ञात बीमारी का पता लगाया जा सकें और पशुपालक भाइयों को भी पशुधन के कारण होने वाली हानि से बचाया जा सकें।

केन्‍द्र वैज्ञानिकों के साथ पशुपालन विभाग जैसलमेर के संयुक्‍त निदेशक डॉ. जगदीश बनघंटीयार, डॉ. नदीम, पशु चिकित्‍सा अधिकारी आदि ने पशुओं की जांच आदि कार्यों में सहायता प्रदान की। केन्‍द्र वैज्ञानिक डॉ. श्‍याम सुंदर चौधरी एवं पशु चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. काशीनाथ ने बताया कि ऊँटों की जांच के दौरान सं‍क्रमित दिखने वाले 25 ऊँटों को सर्वप्रथम अलग करते हुए उनके रक्‍त तथा मींगणी के नमूने केन्‍द्र में जांच के लिए लिए गए। साथ ही अन्‍य जानवरों का लक्षणों के आधार पर उपचार किया गया। साथ ही उष्‍ट्र पालकों को ऊँटों के स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन एवं संक्रामक रोगों से बचाव के लिए सुझाव दिए गए।

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