Tuesday, March 19, 2024
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…तो चुनावों में भुगतना पड़ेगा भाषा की उपेक्षा का खामियाजा

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। मातृभाषा दिवस पर राजस्थानी छात्रमोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष शंकरसिंह राजपुरोहित ने प्रदेश की जनता से आह्वान किया है कि वह राजस्थानी भाषा की घोर उपेक्षा कर रही भाजपा सरकार को सबक सिखाएं। उन्होंने बताया कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार द्वारा वर्ष 2003 में राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए राजस्थान विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे जाने के बावजूद पिछले पंद्रह वर्षों में इस प्रस्ताव पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।
राजपुरोहित ने प्रेस बयान में कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार भी राजस्थानी भाषा के प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश की मांग को लगातार नजरअंदाज कर रही है। राजस्थान के छात्रों को उनकी मातृभाषा से वंचित रखे जाने के कुत्सित प्रयासों को छात्रमोर्चा सहन नहीं करेगा। राजपुरोहित ने आरोप लगाया कि अपने चुनावी घोषणा-पत्र में राजस्थानी भाषा के संरक्षण और संवद्र्धन के सब्जबाग दिखाने वाली सरकार राजस्थान में ही राजस्थानी भाषा की घोर उपेक्षा पर उतारू है।
उन्होंने बताया कि बीकानेर मुख्यालय स्थित राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की साहित्यिक गतिविधियां अध्यक्ष मनोनयन के अभाव में पिछले चार साल से ठप्प पड़ी हैं। इस अकादमी का मुख्यालय राजस्थानी भाषा के प्रबल पक्षधर बीकानेर पश्चिम के विधायक गोपाल जोशी और केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल के गृहक्षेत्र में है। उन्होंने आरोप लगाया कि सासंद और मुख्यमंत्री की आपसी तनातनी का खामियाजा राजस्थानी भाषा को भुगतना पड़ रहा है। राजपुरोहित ने बताया कि बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय ने राजस्थानी भाषा में एम.फिल. और पीएच.डी. की प्रवेश परीक्षाएँ पिछले चार-पांच साल से बंद कर रखी हैं। इस विश्वविद्यालय में राजस्थानी विभाग की स्थापना की मांग भी कई बार उठ चुकी है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उधर राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी परीक्षाओं से राजस्थानी भाषा का चेप्टर ही हटा दिया है।
उन्होंने बताया कि राजस्थानी मातृभाषा छात्र मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. गौरीशंकर ने आरटीआई के तहत सरकार से सूचना मांगी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। राजस्थान में उच्च माध्यमिक शिक्षा के हजारों विद्यालय संचालित हैं, लेकिन राजस्थानी भाषा का अध्ययन केवल 80 विद्यालयों में हो रहा है। प्रदेश में संचालित 195 राजकीय महाविद्यालयों में से केवल 2 महाविद्यालयों में राजस्थानी विषय पढ़ाया जा रहा है। इनमें से एक बीकानेर का डूंगर कालेज है, जिसमें वर्तमान में स्नातक स्तर पर अध्ययनरत करीब 300 राजस्थानी विद्यार्थियों पर केवल एक व्याख्याता नियुक्त है।
राजपुरोहित ने कहा कि केन्द्र की भाजपानीत सरकार ने भोजपुरी के साथ राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने का मामला पिछले तीन वर्षों से लटका रखा है। बीकानेर के सांसद और केन्द्र में मंत्री अर्जुनराम मेघवाल जब भी बीकानेर आते हैं, राजस्थानी को जल्द ही संवैधानिक मान्यता दिए जाने का आश्वासन देते रहे हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पिछले तीन वर्षों से अपनी राजस्थान यात्रा के दौरान राजस्थानी को मान्यता दिए जाने का दे आश्वासन कई बार दे चुके हैं, लेकिन सतही तौर पर इस मुद्दे पर कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि राजस्थानी भाषा की निरंतर उपेक्षा का खामियाजा सरकार को आगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा।

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