Friday, March 29, 2024
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विवादों के बवंडर में फंसी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति पर क्या कहता है सट्टा बाजार, जानिये?

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। विवादों के बवंडर में फंसी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के मामले को लेकर एक ओर जहां पार्टी हाईकमान कोई जोखिम नहीं उठा रहा, वहीं सट्टा बाजार भी इससे किनारा किए हुए है। वो भी इसे लेकर मौन धारण किए बैठा है। आमतौर पर राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर सट्टा बाजार में भावों का उतार-चढ़ाव शुरू हो जाता है। खासतौर से चुनावी टिकट को लेकर तो सट्टे का बाजार कई महीने पहले ही अपने भाव खोल देता है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति का इतिहास देखें तो पता चलता है कि इस महत्वपूर्ण पद पर नए चेहरे की नियुक्ति हमेशा एकाध दिन में हो गई थी। यह पहला अवसर है जब इसकी गुत्थी प्रदेश और केन्द्र नेतृत्व के बीच उलझ कर रह गई है।

सट्टा बाजार के सूत्रों की मानें तो जब भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने इस्तीफा दिया था, तब बाजार ने दो-तीन चेहरों मसलन, अर्जुनराम मेघवाल, नारायण पंचारिया, अरुण चतुर्वेदी, गजेन्द्र सिंह शेखावत आदि को लेकर भाव खोले थे, लेकिन बाद में जैसे ही इसे लेकर विवादों का बवंडर खड़ा हो गया तो बाजार ने भी इससे किनारा करना उचित समझा। ताजा स्थिति के मुताबिक बाजार इस मुद्दे पर किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। बाजार को अब यह लगने लगा है कि इस महत्वपूर्ण पद के लिए अब महज दो-तीन नामों पर कयास लगाना उचित नहीं है। इस पद की ‘लॉटरीÓ अब किसी भी चेहरे के नाम पर खुल सकती है, यह समझकर ही संभवत: बाजार ने इससे किनारा कर लिया है।

बहरहाल, इस पद पर चेहरों को लेकर कयासों का दौर तो अब भी जारी है। इसमें प्रमुख रूप से गजेन्द्र सिंह शेखावत, ओम बिड़ला, नारायण पंचारिया, लक्ष्मीनारायण दवे, देवीसिंह भाटी, ओमप्रकाश माथुर, अरुण चतुर्वेदी, अर्जुनराम मेघवाल, भूपेन्द्र यादव, राजेन्द्र सिंह राठौड़ आदि के नाम गिनाए जा रहे हैं। इनमें से गजेन्द्र सिंह शेखावत और अर्जुनराम मेघवाल के नामों को लेकर तो कई भाजपा नेताओं ने मुखरता से विरोध भी शुरू कर दिया था। पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी इस मामले में सबसे आगे रहे। अब जिस तरह इस पद पर नियुक्ति में देरी हो रही है तो ऐसे में भाटी का नाम भी दावेदारों की सूची में दो कदम आगे बढ़ गया है। हालांकि भाटी ने हाल में चुनाव नहीं लडऩे को लेकर कई बार बयान दिए है, ऐसे में यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि वे शायद अब संगठन की ओर अपना झुकाव बढ़ाना चाह रहे हैं। पार्टी के प्रमुख नेता राजनाथ सिंह से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी हुई नहीं है। ऐसे में वो भी इस पद की रेस में कहीं न कहीं नजर तो आ ही रहे हैं। इस पद को लेकर बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल को लेकर संभावनाएं हाल के दिनों में कुछ कम हुई है। उनके बेटे की ओर से फेसबुक पर दिए गए कमेंट्स के बाद से उनकी दावेदारी कहीं न कहीं कमजोर जरूर पड़ी है।

इधर, पार्टी सूत्रों की मानें तो कनार्टक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कभी भी पार्टी हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति का ऐलान कर देगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केन्द्र और प्रदेश के बीच उलझी हुई यह गुत्थी किस तरह सुलझती है।

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