Friday, March 29, 2024
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उनके दिलों में बसता है ये दरियादिल चिकित्सक

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आचार्य ज्योति मित्र/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की लापरवाही की खबरें तो आए दिन सुखिऱ्यों में बनी रहती हैं, लेकिन बीकानेर में एक चिकित्सक ऐसा भी है जो प्रत्येक शुक्रवार को कई रोगों की चिकित्सा के लिए अपने स्तर पर निशुल्क जांच शिविर लगाता है। उनकी सेवा भावना का ही परिणाम है कि यह दरियादिल चिकित्सक रोगियों के दिलों में बसता है। उन्होंने अपनी सेवा भावना से यह सिद्ध भी कर दिया है कि इंसानियत कहीं न कहीं अब भी जिन्दा है।

डॉ. अबरार अहमद पंवार
डॉ. अबरार अहमद पंवार

यहां बात कर रहे हैं डॉ. मो. अबरार अहमद पंवार की। ये एक ऐसी शख्सियत हैं, जो चिकित्सक के रूप में ‘भगवान’ होने की कहावत को सार्थक कर रहे हैं। मूंधड़ा चौक निवासी भैरुदान व्यास बताते हैं कि वर्ष 2006 में चिकनगुनिया बीकानेर में एक महामारी की तरह फैला। शहर का ऐसा शायद ही कोई घर होगा, जिसमें चिकनगुनिया का मरीज ना हो। उस समय डॉ. अबरार की ओर से सेवा के रूप में निभाए गए चिकित्सकीय फर्ज की चर्चा भी खूब रही। उन्होंने शहर के अलग-अलग भागों में जाकर निशुल्क कैंप लगाकर लोगों का उपचार किया। उन्हें इस रोग के प्रति जागरूक भी किया।

कमोबेश ऐसी ही स्थितियां वर्ष 2011 में भी सामने आई। जब वे अणचाबाई अस्पताल में थे। अस्पताल समय के अलावा उन्होंने अतिरिक्त चार-पांच घंटे देकर मरीजों को खासी राहत पहुंचाई। ऐसा नहीं है किस शहर में इनकी सेवा को हल्के में ही लिया हो। शहर की लगभग संस्थाओं से सम्मान पा चुके है तो बीकानेर जिला प्रशासन सराहनीय चिकित्सा सेवा के लिए इन्हें तीन बार सम्मानित कर चुका है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर चिकित्सा मंत्री ने डॉक्टर अबरार को उनकी डिस्पेंसरी के लिए पचास हजार रुपए का कायाकल्प अवार्ड दिया। इंडियन हज मेडिकल मिशन के चीफ कोऑर्डिनेटर के रूप में पांच दफे काम करने वाले डॉ. अबरार इसे ऊपर वाले की मेहरबान मानते हैं। इसके लिए भारतीय दूतावास ने इन्हें सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया। डॉ. अबरार के सम्मान की फेहरिस्त लंबी है। साल 2008 में यूएसए के इलिनोइस प्रांत के गवर्नर रॉड ब्लॉगोयविच ने कम्युनिटी सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया।

पिता की सीख से बनी साख

सरल स्वभाव के डॉ. अबरार कहते हैं कि ये सब उपलब्धियों उन्हें अपने पिता मो. इस्माइल पंवार के आशीर्वाद व संस्कारों से मिली है। वे उस दिन को याद करते हुए भावुक हो गए जब सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर प्रेक्टिस के लिए तैयार थे। उस समय पिता ने एक सीख दी कि बेटा आपको अल्लाह ने मजलूमों की सेवा करने का मौका दिया है। इस मौके का सही उपयोग करना। इससे बड़ा संसार मे कोई सुख नहीं है, लेकिन इसे खरीदा नही जा सकता। डॉ. अबरार बताते हैं कि पिता की बात को गांठ बांधकर मैं अपनी सामथ्र्य से कोशिश करता हूँ। जब किसी गरीब के चेहरे पर इलाज के बाद मुस्कान देखता हूँ तो उस मरीज के चेहरे में मुझे अपने स्व. पिता मुस्कराते नजर आते है। शायद मेरे लिए ये दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान है।

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