Saturday, April 20, 2024
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नियम-कायदों पर भारी इन स्कूलों की मनमानी

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। निजी स्कूलों की मनमानी राजस्थान विद्यालय (फीस विनियमन एक्ट 2016) अधिनियम पर भारी साबित हो रही है। अधिनियम में अभिभावकों को स्कूल की फीस तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन मनमानी पर उतारू कई निजी स्कूल न तो कमेटी बना रहे हैं और न ही इस संबंध में अभिभावकों को कोई सूचना दे रहे हैं। शैक्षिक सत्र की शुरुआत के सथ ही बड़ी संख्या में निजी स्कूलों ने 15 से लेकर 20 प्रतिशत तक फीस में बढ़ोतरी कर दी है। इन स्कूलों ने फीस बढ़ाने के संबंध में शिक्षा विभाग को भी कोई अधिकृत सूचना नहीं दी है।

हालांकि शिक्षा विभाग समय-समय में सर्कुलर जारी करके ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने की चेतावनी देता है, लेकिन इसका कोई असर फिलहाल इन पर नजर नहीं आ रहा। निजी स्कूल न केवल फीस के मामले में, बल्कि कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म को लेकर भी मनमानी पर उतारू हो गए है। कौनसी जगह से यूनिफॉर्म लेनी है और कौनसी जगह से कॉपी और किताब, यह सब वे ही अभिभावकों को बताते हैं। शिक्षा विभाग की ओर से इन पर प्रभावी अंकुश नहीं होने के कारण अभिभावक भी ऐसे स्कूल संचालकों से कोई पंगा नहीं लेना चाहते।

बता दें कि प्रदेश में पहली बार 2010 में सरकार ने तीन साल में कुल 33 फीसदी से अधिक फीस बढ़ाने पर रोक लगाई थी। 2013 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने राजस्थान विद्यालय फीस के संग्रहण का विनियमन अधिनियम लागू किया। राज्य स्तरीय फीस निर्धारण कमेटी के गठन का प्रावधान किया गया था। इसके बाद 1 जुलाई 2016 को वर्तमान सरकार ने महाराष्ट्र पैटर्न पर नया फीस कानून लागू किया। इसमें स्कूल स्तर पर फीस निर्धारण कमेटियों के गठन का प्रावधान भी किया गया था, लेकिन अधिनियम की पालना कराने के मामले में शिक्षा विभाग के अफसर फेल साबित हो रहे हैं। अधिनियम के तहत अधिक फीस लेने पर रोक है। इसके तहत कोई स्कूल नियत या अनुमोदित फीस से अधिक कोई फीस नहीं ले सकेगा। फीस के लिए प्रत्येक सत्र की शुरुआत से 30 दिन के भीतर स्कूल के मुखिया द्वारा माता-पिता अध्यापक संगम गठित किया जाएगा। इसकी सूचना स्कूल के सूचना बोर्ड पर लगानी होगी।

इधर, शिक्षा निदेशक ने डीईओ को निजी स्कूलों की फीस संबंधित सूचनाएं भिजवाने और जिले के सभी प्राइवेट स्कूलों को पाबंद करने एवं अनियमित फीस बढ़ोतरी करने वाले स्कूलों की तत्काल जांच कर मान्यता समाप्ति की कार्रवाई किए जाने के लिए जांच रिपोर्ट भिजवाने के निर्देश् दिए हैं। निर्देश में कहा गया है कि इसमें कोताही बरतने पर डीईओ जिम्मेदार होंगे।

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