ज्योति मित्र आचार्य‡बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। पूर्व मंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी विधानसभा चुनाव की इस जंग में अलग ही भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस जंग में हथियार वही पुराने हैं, लेकिन फ्रंट पर इस बार उन्होंने अपनी पुत्रवधू पूनम कंवर को भेजा है। इस बार वे अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी पुत्रवधू के लिए कोलायत की जनता से भाजपा को वोट देने का आग्रह कर रहे हैं।
गौरतलब है कि भाटी ने विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा करके प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में खासी गर्मी ला दी थी। इस घोषणा मात्र से ही कोलायत की ढाणियों से लेकर सत्ता के गलियारों तक चर्चा अब तक नहीं थमी है। अपनी साफगोई के लिए पहचाने जाने वाले भाटी ने चुनाव न लडऩे की तो बात तो कही, लेकिन राजनीति से किनारा करने की नहीं।
वर्तमान में प्रदेश के राजपूत नेताओं में यदि कोई नाम सबसे पहले उभरकर आता है तो वह है देवी सिंह भाटी का नाम। यही कारण है पड़ोस के विधानसभा क्षेत्र नोखा के प्रत्याशी बिहारीलाल बिश्नोई कि अपने क्षेत्र में राजपूतों को साधने के लिए देवी सिंह भाटी की जरूरत पड़ी भाटी ने भी उनके क्षेत्र में जाकर राजपूतों को भाजपा के पक्ष में आने का आह्वान किया। भाटी के इस कदम से कोलायत क्षेत्र में विश्नोई समुदाय को साधना उनके लिए आसान हो गया।
यहां उल्लेखनीय है कि देवी सिंह भाटी जमीन से जुड़े हुए नेता है। अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत के बाद लगातार चुनाव जीतने वाले भाटी राजस्थान के एकमात्र करिश्माई नेता है जिनका ब्राह्मणों, मुसलमानों, राजपूतों, पिछड़े वर्ग, आरक्षण से वंचित सहित अन्य वर्गों में खासा प्रभाव है। यदि चुनाव के बाद सरकार बनाने में यदि जोड़-तोड़ की राजनीति भी करनी पड़े तो भाटी को इसमें ज्यादा दिक्कत नही होगी। पाठकों को याद होगा शेखावत सरकार को बचाने के लिए जनता दल दिग्विजय का भाजपा में विलय करवाने में इस दबंग नेता की अहम भूमिका थी। भाटी ने 90 के दौर में सामाजिक न्याय मंच नाम से आरक्षण आंदोलन शुरू किया था। राजस्थान के लगभग हर जिले में उस दौर की रैलियों में उमडऩे वाली भीड़ ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
बहरहाल, ताजा जंग में कोलायत क्षेत्र में उनकी कार्यशैली नोसिखिया राजनीतिक विरोधियों को कंफ्यूजन में डाल रही है। दूसरी ओर भाटी ने अपनी जगह पूर्व सांसद स्वर्गीय महेंद्र सिंह भाटी की पत्नी पूनम कंवर भाटी को चुनाव मैदान में उतारकर एक तरह से आधी जंग जीत ली है। आपको बता दें कि पूर्व सांसद महेंद्र सिंह भाटी कोलायत के युवाओं के रोल मॉडल रहे हैं। एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद से कोलायत के युवा आज भी उनको भुला नहीं पाए हैं। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर राजस्थान में रिकॉर्ड रक्तदान कर अपनी श्रद्धांजलि अपने प्रिय नेता को अर्पित करते रहे है।
इस बार जब उनकी पत्नी पूनम कंवर भाटी चुनाव मैदान में है तो वे दुगने जोश के साथ उनके पक्ष में लग गए हैं। राजपूतों के इस खांटी नेता ने अपने पौत्र अंशुमान सिंह भाटी को पिछले चुनाव के बाद से ही कोलायत की गांव ढाणियों में लोगों से मिलने-जुलने का काम सौंपा। चार-पांच सालों में अंशुमान सिंह भाटी ने गांव-गांव में युवाओं की एक टीम खड़ी कर दी। राजनीति के पंडित बताते हैं अंशुमान की मेहनत ने इस चुनाव की रंगत पूरी तरह बदल दी है जिसका लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा।
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