Thursday, April 25, 2024
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चाय बेची, तांगा चलाया, फिर बना असुमल से आसाराम

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जोधपुर (अभय इंडिया न्यूज)। नाबालिग से यौन उत्पीडऩ के मामले में जिस बाबा आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है उससे जुड़ी जानकारियां जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। आसाराम ने सबसे पहले चाय बेच, अजमेर में तांगा चलाया और फिर आसुमल से संत आसाराम बन गया।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल बाबा बनने से पहले आसाराम तांगा चलाकर या चाय बेचकर अपने परिवार को पेट पालता था। पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे। आसाराम का असली नाम असुमल हरपलानी है। उसका परिवार सिंधए पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन बंटवारे के बाद अहमदाबाद आकर बस गया। वहां कुछ साल बिताने के बाद वह एक बाबा की संगत में आ गया था और फिर बाबा बन गया।

अजमेर में चलाया था तांगा

आसाराम बाबा बनने से पहले अजमेर शरीफ में तांगा चलाता था। दो साल तक उसने रेलवे स्टेशन से दरगाह शरीफ तक तांगे से सवारी ढोई थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर असुमल हरपलानी आसाराम बन जाएगा। अजमेर में तांगा स्टैंड के पुराने लोग आज भी आसाराम को याद करते हैं और उसके बारे में कई कहानियां बताते हैं।

तीसरी तक पढ़ा है आसाराम

एक मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे। आसाराम तीसरी तक पढ़ा है।् पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम किया। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल की आयु में आसाराम ने घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच में एक आश्रम में रहने लगा। 1960 के दशक में उसने लीलाशाह को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया। बाद में लीलाशाह ने ही असुमल का नाम आसाराम रखा। शुरुआत में प्रवचन के बाद प्रसाद के नाम पर वितरित किए जाने वाले मुफ्त्त भोजन ने भी आसाराम के Óभक्तोंÓ की संख्या को तेजी से बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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