Friday, March 29, 2024
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जयंती पर महावीरमय हुआ बीकाणा, शोभायात्राओं की धूम

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। भगवान महावीर की जयंती पर गुरुवार को शोभायात्राएं निकली तथा विभिन्न अन्य आयोजन भी हुए। भगवान महावीर के जीवनवृत को दर्शाते हुए सजीवित झांकियां भीनासर-गंगाशहर एवं बीकानेर से दो अलग-अलग निकली, जो मुख्य समारोह स्थल पहुंची। इससे समूचा शहर महावीरमय हो गया। जैन म

बीकानेर में गुरुवार को महावीर जयंती के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते वक्ता। फोटो : संजय बोड़ा
बीकानेर में गुरुवार को महावीर जयंती के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते वक्ता। फोटो : संजय बोड़ा

हासभा द्वारा महावीर जयंति के उपलक्ष्य में घर-घर झण्डे लगाए गये तथा बीकानेर, गंगाशहर के सभी चौकों को भगवान महावीर के अनमोल वचनों, झण्डों एवं रोशनी से सजाया गया।

इस कार्य में तेरापंथ युवक परिषद्, शान्ति विजय सेवा समिति समता युवा संघ, कोचर फ्रेंड्स क्लब, किशोर मण्डल के सदस्य पूरी सक्रियता से जुड़े हुए थे। दिगम्बर नसियां जी में आयोजित सामूहिक भोज में जैन महासभा के प्रतिनिधि शामिल हुए तथा सभी को शुभकामनाएं दी। भीनासर जैन जवाहर विद्यापीठ से प्रारम्भ हुई शोभायात्रा को महापौर नारायण चौपड़ा ने ध्वज दिखाकर रवाना किया जो गंगाशहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई बड़ा बाजार पहुंची। दूसरी शोभायात्रा दिगम्बर नसिया से प्रारम्भ हुई जिसे यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका व जैन महासभा के अध्यक्ष जयचन्दलाल डागा ने झण्डी दिखाकर रवाना किया। दोनों शोभा यात्राओं में पुरुष जैन प्रतीक लगी टी-शर्ट व महिलाएं केसरिया साड़ी में शामिल हुई। शोभा यात्राओं में जोश देखने को ही मिलता था। पूरे रास्ते त्रिशलानन्दन वीर की जय बोलो महावीर की… के नारों से पूरा शहर गुंजायमान हो गया। रास्ते में जगह-जगह पर शोभा यात्रा का स्वागत कर ठंडे पेय पदार्थ व आईसक्रीम की सेवा की गई।

इसके बाद जैन महासभा की ओर से गौड़ी पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में मुख्य समारोह आयोजित किया गया। इसमें साध्वीश्री गौरवप्रभाजी ने कहा कि महावीर से अधिक जागरूकता से शायद ही किसी ने जीवन जीया होगा। नाम से ही महावीर नहीं कर्म से भी महावीर थे। साध्वीश्री ने कहा कि भगवान महावीर ने किसी को ऊंचा-नीचा नहीं समझा। साध्वी मरूतप्रभाश्रीजी ने कहा कि महापुरुषों का जन्मकल्याणक ही मनाया जाता है। महावीर सत्य की खोज में निकल पड़े थे। उन्होंने अहिंसा का मार्ग दिखाया। समारोह में प्रो. चन्द्रकला पाडिया ने कहा कि भगवान महावीर अहिंसा के अवतार थे। मन से भी हिंसा नहीं की। सभी की सकारात्मक सोच होनी चाहिए। साध्वी डॉ. परमयशाजी ने कहा कि भगवान महावीर ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। मुनिश्री शान्तिकुमार ने कहा कि भगवान महावीर इस युग के अन्तिम तीर्थंकर थे। महावीर ने हमेशा अहिंसाए अनेकान्त, अपरिग्रह का प्राणी मात्र को संदेश दिया। जैन महासभा के अध्यक्ष जयचन्दलाल डागा ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया। जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर ने जैन महासभा द्वारा आरम्भ किए 21 व्यंजन सीमा अभियान के बारे में जानकारी देते हुए समाज से अनुरोध किया कि विवाहए शादीए गृह प्रवेश आदि सामाजिक आयोजनों पर 21 व्यजंन से अधिक न बनावें न खायें।

जैन महासभा के महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने कहा भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकान्त व अपरिग्रह के सिद्धान्त को हम स्वीकार कर लेवें तो विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान हो सकता है। जैन महासभा के एडवोकेट महेन्द्र जैन ने बताया कि निर्णायकों कैलाश भारद्वाज, प्रदीप भटनागर, लक्ष्मीनारायण सोनी ने अणुव्रत समिति, बीकानेर को प्रथम, संस्कार प्ले स्कूलए गंगाशहर को द्वितीय व जैन पब्लिक स्कूल बीकानेर को तृतीय स्थान दिया। सभी विजेताओं में प्रथम को 11000 द्वितीय को 7000 व तृतीय को 5000 रुपये की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।

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