Saturday, April 20, 2024
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ऊँटों को और अधिक ताकतवर बनाने के गुर सीख रहे बीएसएफ के जवान

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बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान देश की सीमाओं की चौकसी में मददगार ऊँटों को और अधिक ताकतवर और उनके रख-रखाव के गुर सीख रहे हैं। बीकानेर के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) में इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार से शुरू हुआ है। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक सीमा सुरक्षा बल के जवानों को वैज्ञानिक तरीके से ऊँटों के रख-रखाव और उसके प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।

कार्यक्रम के पहले दिन राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के निदेशक डॉ. एन. वी. पाटिल ने कहा कि रेगिस्तान की भीषण गर्मी, अकाल आदि विषम परिस्थितियों में भी बिना किसी शारीरिक लक्षण को प्रकट किए आरामपूर्वक जीवन यापन करने वाली उष्ट्र प्रजाति का देश की सीमा चौकसी में भी अद्वितीय योगदान रहा है। वर्तमान में बदलती परिस्थितियों के चलते इसकी उपयोगिता प्रभावित हो रही है। ऊँटों में विद्यमान अनुकूलन की विशेषता एवं सहनशीलता के चलते सीमा सुरक्षा बलों में ऊँटों की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से ऊँटों के रख-रखाव व प्रबंधन संबंधी व्याख्यान न केवल जवानों के ज्ञान में अभिवृद्धि होगी, बल्कि इस व्यावहारिक प्रशिक्षण सें ऊँटों के रखरखाव में और अधिक सहायता मिल सकेगी।

कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डिप्टी कमाण्डेंट डॉ. विनय यादव ने कहा कि बीएसएफ में ऊँटों का विशेष योगदान है तथा जवान भी सीमा चौकसी आदि में ऊँटों के उपयोग को तरजीह दें ताकि इस प्रजाति को भी संरक्षण मिले। इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सावल, ने भी अपने विचार रखे। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश रंजन ने कार्यक्रम का संचालन किया। गौरतलब है कि सीमा की चौकसी में हमेशा से ही ऊंट बीएसएफ के लिए मददगार साबित हुआ है, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में इसकी कार्यक्षमता में कहीं न कहीं कमी आई है, इसे देखते हुए ही एनआरसीसी ने यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।

 

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