Thursday, March 28, 2024
Hometrendingमजबूत बागी निर्दलीयों पर दोनों दलों की पैनी नजरें, इतिहास भी रहा...

मजबूत बागी निर्दलीयों पर दोनों दलों की पैनी नजरें, इतिहास भी रहा है गवाह…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

सुरेश बोड़ा/जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अब भाजपा और कांग्रेस ने उन बागी निर्दलीयों पर नजर डालना शुरू कर दिया है, जो चुनावी समर में मजबूती से ताल ठोक रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चुनाव परिणामों के बाद यदि प्रदेश में 1993 या 2008 जैसी स्थिति बनती है तो उसमें निर्दलीयों और अन्य छोटे दलों से जीतने वालों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने अभी से ऐसे बागियों को साधने में जुट गए हैं, जहां पार्टी प्रत्याशी के जीतने की संभावना कम और बागियों या अन्य दलों के प्रत्याशियों के जीतने की संभावना ज्यादा दिख रही है।

सूत्रों की मानें तो बागियों पर नजर रखने का यह काम पूरी तरह गोपनीय रखा जा रहा है, ताकि किसी को रणनीति के बारे में जानकारी ना हो जाए। कयास यह भी है कि जैसे ही किसी बागी के जीतने की संभावना होगी, दोनों ही पार्टियां उसको अपने पक्ष में लेने के लिए उसकी हर संभव मदद करने में जुट जाएंगे। पिछले चुनावों में भी ऐसा देखा गया है।

आपको बता दें कि 2008 के चुनाव में भाजपा ८० सीटों से नीचे ही सिमट गई थी। कांग्रेस भी पूर्ण बहुमत तक नहीं पहुंची और 96 सीट ही ले पाई। तब अशोक गहलोत ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए बसपा के सभी जीते विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर सरकार बना ली थी। ये सरकार पूरे पांच साल चली भी। इससे पहले वर्ष 1993 में भैरोंसिंह शेखावत ने भाजपा के जीते हुए बागियों और कांग्रेस के जीते हुए बागियों के समर्थन से सरकार बना ली। वो सरकार भी पूरे पांच साल चली थी।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular