Thursday, March 28, 2024
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बारह गुवाड़ ‘नाइट चाय पट्टी’ के रूप में हुआ फेमस

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बीकानेर (श्याम शर्मा) यहां दुकानें ही रात को 7 बजे बाद खुलती है और आधी रात तक यहां मेला लगा रहता है। रात को कचौरी, पकोड़ी और केसरयुक्त चाय का बाजार गुलजार होता है तो दूरदूर से लोग यहां रात को दस बजे बाद आकर अपनेअपने स्वाद का मजा लेते हैं।

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जी हां! यह बीकानेर के सघन पुष्करणा इलाके का बारह गुवाड़ मौहल्ला है, जहां पिछले कुछ महीनों से फेमस हुईनाइट चाय पट्टीलोगों को यहां तक खींचकर ले आती है। यहां हींग की खुशबू लिए पकौड़ी का स्वाद चखने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। बाबा बटुकनाथ की दुकान पर रात 12 बजे भी ऑर्डर दो तो पकौड़ी हाजिर कर दी जाती है। कचौरी और सब्जी का स्वाद लेने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है।

खाना खाने के बाद भी लेते है कचौरी और ब्रेड पकौड़ों का स्वाद

बाबा बटुकनाथ की थड़ी के सामने ब्रेड पकौड़ा और कचौरी खाने वालों की लाइन लगती है। जिनका नंबर दाल की पकौड़ी में नहीं लगता वह ब्रेड पकौड़ों का स्वाद लेकर ही संतुष्ट होता है। इसके पास पपड़ी चाट की थड़ी पर आने वाले भी कम नहीं है। मजे की बात तो यह है कि यहां लोग खाना खाने के बाद इनका स्वाद लेने आते हैं।

यहां मिलता है पांच रुपये में पान

शहर की सारी दुकानों पर 15 से 20 रुपये में पान मिलता है तो यहां आपको पांच रुपये में पान मिल जाएगा। वह भी कोई सा ले लीजिये, तंबाकू वाला या मसाले वाला, पांच रुपये ही देने पड़ेंगे। इन दुकानों पर खाना खाकरउगाव’ करने आने वाले भी एक तरह से फिक्स हैं। यहां नियमित बैठकबाजी करने वाले भंवर पुरोहित ने बताया कि कोई शख्स यहां से अपने घर में रात को कितने बजे जाएगा, यह पता नहीं लेकिन बारह गुवाड़ में उसके आने का समय लगभग सबको पता रहता है।

तो बारह गुवाड़ ही आना होगा

दिन में शहर में चाय के कई ठीये चलते हों लेकिन रात को केसर की चाय पीने के लिए बारह गुवाड़ ही आना पड़ेगा। कालू की यह दुकान भी शाम को ही खुलती है और आधी रात तक ग्राहकों का तांता लगा रहता है। यहां केसरयुक्त चाय मात्र दस रुपये में मिलती है तो क्यों नहीं चाय के रसिकों का मन ललचायेगा।

चायपट्टी राष्ट्रीय पत्रपत्रिकाओं में चर्चित

दिन की चाय पट्टी बड़े बाजार में है जो राष्ट्रीय पत्रपत्रिकाओं तक में चर्चित रही है। यहां की राजनीतिक चर्चाओं से निकले निष्कर्ष जानने के लिए लोग उत्सुकता से इंतजार करते थे। जगह की ख्याति इतनी कि मूर्धन्य साहित्यकार अज्ञेयजी भी आए हुए हैं। यहां कभी साहित्यकारों को मजमा लगता था जिनमें डॉ. नंद किशोर आचार्य, हरीश भादाणी, ओम थानवी, महबूब अली, वासु आचार्य, श्रीलाल मोहता जैसी हस्तियों के कारण इसे प्रतिष्ठा मिली थी। अब नई नाइट चाय पट्टी फेमस हो रही है।

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