Thursday, April 25, 2024
Homeराजस्थानबिना वीसी चल रहे 5 विश्वविद्यालय, 3 में नियुक्ति अगले माह

बिना वीसी चल रहे 5 विश्वविद्यालय, 3 में नियुक्ति अगले माह

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों को अगले महीने नए कुलपति मिल सकते हैं। वर्तमान में प्रदेश में पांच सरकारी विश्वविद्यालयों में स्थायी नियुक्ति के अभाव में कुलपति के पद रिक्त हैं। इनमें से दो में तीन-तीन तथा दो विश्वविद्यालयों बीते छह-छह महीने से कुलपति के पद खाली है। इसी सप्ताह अजमेर के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति का भी निधन होने से सीट खाली हो गई है। ऐसी स्थितियों के मद्देनजर अब राज्य सरकार खाली पद भरने में जुट गई है।

सूत्रों की मानें तो अगले माह के अंत तक तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के लिफाफे खुल सकते हैं। एम. डी. एस. अजमेर विश्वविद्यालय के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार बांसवाड़ा के कुलपति को देकर सर्च कमेटी का गठन किया जाएगा। संस्कृत विश्वविद्यालय में भी अगस्त तक सर्च कमेटी गठित कर दी जाएगी। बीकानेर की राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति का पद भी पिछले 6 महीने से खाली चल रहा है। इसमें भी कुलपति पद पर अतिरिक्त कार्यभार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा के पास है। उम्मीद जताई जा रही है कि यहां भी कुलपति की घोषणा अगस्त में हो जाएगी।

कोटा विश्वविद्यालय में कुलपति पद चार महीने से खाली है। इसमें अगस्त महीने के अंत तक कुलपति नियुक्त होने की संभावना है। हालांकि अभी तक राजभवन में सर्च कमेटी ने दावेदारों का लिफाफा नहीं सौपा है। वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अशोक शर्मा के पास इस पद का अतिरिक्त कार्यभार है।

इसी तरह जयपुर स्थित जगद्गगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति का पद 6 माह से खाली है। कुलपति का कार्यभार आरयू के कुलपति के पास है। इस विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर 10 साल प्रोफेसर पद का अनुभव का नियम इसी महीने लागू हुआ है। ऐसे में नई कुलपति सर्च कमेटी का गठन अब होगा। ऐसे में नया कुलपति मिलने में तीन महीने भी लग सकते हैं। जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कुलपति का पद तीन माह से खाली है। इसमें भी कुलपति की नियुक्ति की घोषणा अगस्त अंत तक होने की संभावना है।

अटक रहे काम

प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति नहीं होने से इनमें भर्तियों के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण काम अटक रहे हैं। इसके अलावा कोर्सेस का अपडेट होना, शिक्षकों के कामकाज की मॉनिटरिंग जैसे कई काम स्थायी कुलपति नहीं होने से प्रभावित हो रहे हैं। इसका नुकसान सीधेतौर पर विद्यार्थियों को भी हो रहा है।

पुष्करणा ब्राह्मण महेश मलानी पाक में चुनाव जीतने वाले पहले हिन्दू

…दूरियां, नजदीकियां बन गई, अजब इत्तफाक है

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular